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५. ज्ञान
अमोही बनना मतलब ज्ञानी बनना। .
आत्मा पर से मोह का आवरण दूर होते ही ज्ञान का प्रकाश देदीप्यमान हो उठता है । ज्ञानज्योति प्रज्वलित हो उठती है। अ-मोही का ज्ञान भले ही एक शास्त्र, एक श्लोक अथवा एक शब्द को क्यों न हो, वह जीवात्मा को निर्वाणपद की ओर बढाने में और प्राप्ति में पूर्णतया शक्तिमान होता है।
जिस ज्ञान के माध्यम से प्रात्मस्वभाव का बोध होता है, उसी को ही वास्तविक ज्ञान कहा गया है । वाद-विवाद और विसंवाद निर्माण करनेवाला ज्ञान, ज्ञान नहीं है। अ-मोही आत्मा प्रायः वादविवाद और विसंवाद से परे रहता है।
ध्यान में रखिये ! थोड़ा भी अमोही बन, इस अष्टक का अध्ययन-मनन और चिन्तन करना। तभी ज्ञान के वास्तविक रहस्य को पाप आत्मसात् कर सकेंगे।
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