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[ ज्ञानसार (१५) अनुत्सृष्ट : अनुमति बिना (पति पत्नी की, पत्नी पति की ) देंवे ।
(१६) अध्वपूरक : भोजन पकाने की शुरूआत अपने लिए करे फिर इसमें साधु के लिए और बढ़ा देंवे ।
(१७) धात्रीदोष : साधु धाय मां का काम करे । (१८) दूतिदोष : संदेश ले जाना और लाना । (१६) निमित्त कर्म : ज्योतिष शास्त्र से निमित्त कहे । (२०) आजीवक पिंड : अपने आचार्य का कुल बताना ।
(२१) वनीपक पिंड : ब्राह्मण, अतिथि, भिखारी के समान बन कर भिक्षा माँगे ।
(२२) चिकित्सा पिड : दवा बताये या करे । (२३) क्रोध पिड : क्रोध से भिक्षा मांगे । (२४) मान पिंड : अभिमान से भिक्षा लाये । (२५) माया पिंड : नये नये वेश करके लाये । (२६) लोभ पिंड : कोई खास बस्तु लाने की इच्छा से फिरे । (२७) संस्तवदोष : माता, पिता और ससुराल का परिचय दें । (२८) विद्या पिंड : विद्या से भिक्षा लाये ।। (२९) मंत्र पिंड : मंत्र से भिक्षा लाये । (३०) चर्ण पिंड : चर्ण से भिक्षा लाये । (३१) योग पिड : योगशक्ति से भिक्षा प्राप्त करे । . (३२) मूल कर्म : गर्भपात करने के उपाय बताये । (३३) शंकित : दोष की शंका हो तो भी शिक्षा लें । (३४) भ्रक्षित : काम में लिया हुआ जूठा द्रव्य लें । (३५) पोहित : सचित्त या अचित्त से ढकी हुई वस्तु लें । (३६) दायक : नीचे लिखे लोगों से भिक्षा लेने से यह दोष लगता है।
(१) बेडी से जकड़ा हुआ (२) जूते पहने हुए (३) बुखारवाला (४) बालक (५) कुबड़ा (६) वृद्ध (७) अंधा (८) नपुंसक
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