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२६. अनुभव
यह कोई दुनिया के खट्टे-मीठे अनुभवों की चर्चा-वार्ता नहीं है, ना ही यह राजनैतिक-सामाजिक अनुभवों का अभिनव अध्याय है । यहां तो प्रस्तुत है आत्मा के अगम-अगोचर अनुभव की बात माजतक जो अनुभव हमें मिला नहीं है,उसे साकार रूप देने के लिए आवश्यक-मार्गदर्शन है और है प्रेरणा-प्रोत्साहन । जीवन में एकाध बार भी यदि प्रात्मा के परमानन्द का अनुभव हो जाए तो काफी है। अरे, मोक्ष-सुख का सेम्पल भी प्रभागिये के मार्ग में कहाँ से !
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