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वेदना और यातनायें समझना । भव कूप को कगार पर खडे हो, उसकी भयंकरता को निहारना । अनायास तुम चीत्कार कर उठोगे ... तुम्हारा तन-बदन पसीने से तर हो जाएगा.... तुम थर-थर कांपने लगोगे और तब 'हे अरिहंत ! कृपानाथ....' पुकारते हुए महामहिम जिनेश्वर भगवंत की शरण में चले जाओगे ।
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