SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०८ ज्ञानसार पुद्गल द्रव्य का धर्म मूर्तता है और आत्मा का गुण ज्ञान है । अत: पुद्गलों से प्रात्म-द्रव्य भिन्न है ।। वास्तिकाय का धर्म गतिहेतुता है और प्रात्मा का गुण ज्ञान है, अतः धर्मास्तिकाय से प्रात्मद्रव्य भिन्न है। अधर्मास्तिकाय का धर्म स्थितिहेतुता है और आत्मा का गुण ज्ञान है । अत: अधर्मास्तिकाय से प्रात्म-द्रव्य भिन्न है ) आकाशास्तिकाय का धर्म 'अवकाश' है और आत्मा का गुण ज्ञान है । अत: आकाशास्तिकाय से भी आत्म-द्रव्य भिन्न है । ___ इन्द्रिय, बल, श्वासोश्वास, अायुष्यादि द्रव्य-प्राण पुद्गल के ही पर्याय हैं और आत्मा से बिलकुल भिन्न हैं। अत: द्रव्य-प्रारण में आत्मा को भ्रांति वर्जनीय है। आत्मा द्रव्य-प्रारण के बिना भी जिदा है जीवित है। जीवो जोवति न प्राणौर्वि ना तैरेव जीवति । इस तरह शरीरादि पुदगल-द्रव्यों में आत्मा की भेदबुद्धि विवेकशोल को होनी चाहिए, यही परमार्थ है । इच्छन न परमान् भावान विवेकाने: पतत्यधः । परम भावमन्विच्छन् नाविवेके निमज्जति ॥६॥११॥ अर्थः परमोच्च भावों की इच्छा न रखने वाला जीव विवेक रुपी पर्वत से नीचे गिर जाता है, और परम भाव को खोजनेवाला अविवेक में कभी निमग्न नहीं होता । विवेचन: शुद्ध चैतन्यभाव...सर्व विशुद्ध प्रात्मभाव का अन्वेषण जीव को विवेक की सर्वोच्च चोटी पर पहुँचा देता है। जब कि शुद्ध चैतन्यभाव की उपेक्षा, विवेक के हिमगिरि पर से जीव को गहरी खाई में पटक देती है। जहां अविवेक रुपी पशुओं के राक्षसी जबड़े में वह चबा जाता है। विवेक-गिरिराज का शिखर है अप्रमत्तभाव । गिरिराज के शिखर पर अप्रमत्त आत्मा को दुर्लभ सिद्धियों की, लब्धियों की प्राप्ति होती है, लेकिन विशुद्ध प्रात्मभावयुक्त जीव उन सिद्धियों और लब्धियों के प्रति उदासीन होता है। वह पूर्णतया अनासक्त होता है। . . बाचकवरश्री उमास्वातिजी ने कहा है : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001715
Book TitleGyansara
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy