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जैन दर्शन में त्रिविध आत्मा की अवधारणा
| ग्रन्थ, लेखक/सम्पादक/प्रकाशन तिथी |
प्रकाशक/प्राप्ति स्थान सिद्धान्तसार संग्रह (प्रथम संस्करण)| जीवराज जैन ग्रन्थमाला (१६५७) सिद्धिविनिश्चय टीका (प्रथम संस्करण भारतीय ज्ञानपीठ, काशी १६५१) सूत्रकृतांगसूत्र (शीलांककृत टीका एवं जवाहिरलाल महाराज, राजकोट हिन्दी अनुवाद सहित) प्रथम संस्करण (वि.सं. १६६३) सूयगडो - सम्पा. पी.एल. चैद्य श्रेष्ठी मोतीलाल, मना (१६२८) व्याख्याप्रज्ञप्ति - सम्पा. वेचरदास दोशी | श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई (१६७४) वसुनन्दिश्रावकाचार - सम्पा. हीरालाल | भारतीय ज्ञानपीठ, काशी जैन (१९५२) विशेषावश्यक भाष्य - श्री जिनभद्रगणि | हेमचन्द्र, हर्षचन्द्र, भूराभाई, क्षमाश्रमण टीका (सं. २४४१)
बनारस शास्त्रवातोसमुच्चय - हरिभद्रसूरि, भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, लालभाई, दलपतभाइ (१९६८)
अहमदाबाद ६ स्थानांगसूत्र - टीका अभयदेवसूरी | आगमोदय समिति सागराधर्मामृत - पं. आशाधर (१६१७) | माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थ माला सम्मतितर्कप्रकरण - आचार्य सिद्धसेन गुजरात पुरातत्व मन्दिर, दिवाकर
अहमदाबाद (सं. १६८०) समवायांग - मुनि कन्हैयालाल कमल । | आगम अनुयोग प्रकाशन (१६६६) समवायांगसूत्र - श्री मधुकरमुनि | श्री आगम प्रकाशन समिति, श्री (१९६१)
ब्रज-मधुकर स्मृति भवन,
पीपलिया बाजार, बियावर सूत्रकृतांगसूत्र - श्री मधुकरमुनि | श्री आगम प्रकाशन समिति, श्री (१९६२)
ब्रज-मधुकर स्मृति भवन,
पीपलिया बाजार, बियावर सूत्रकृतांग टीका - शीलंकाचार्य (वीर सं. आगमोदय समिति २४४२)
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