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________________ ६. पुरुदेवचम्पूप्रबन्धान्तर्गत कतिपय विशिष्ट शब्दानुक्रमणी [ यहाँ तीन अंकोंमें प्रथम अंक स्तबक, दूसरा अंक श्लोक अथवा गद्य और तीसरा अंक पृष्ठोंका सूचक है। दूसरे अंकमें कोष्ठकगत अंक गद्यका सूचक है जो कि साधारण अंक संख्यासे गृहीत है।] [अ] अनवम ६.(३८).२३६ अमामिख्या ४.(७८).१७२ नवम नहीं, अवम-हीन नहीं अनागपर्वतकी शोभा ४.(७८).१७२ अंगद १.(३३).१९ हाथीसे भिन्न, अपराधसे रहित अनिमेषबाजूबन्द १.७३.४६ अग्रमहिषी देव, मत्स्य पट्टरानी अनीति ७.२१.२६१ ५.(४१).२११ नीतिसे रहित, ईतियोंसे रहित पर्वत भनुकलम् २.९.५५ अचला ५.(४१).२११ प्रत्येक समय पृथिवी अनूप ७.(१२).२५७ अच्युतामत्येन्द्र ३.(१०९).१३४ __ अत्यधिक जलवाले देश अच्युतस्वर्गका इन्द्र, अकारसे रहित अन्तर्वनी ६.२३.२३४ अमत्येन्द्र-मत्येन्द्र-मनुष्योंका राजा गर्भवती अतनु १.(२६).१५ अन्तरिक्षाकूपारकामदेव ___ आकाशरूपी समुद्र अतिप्रचण्ड१.(४५).२४ अन्तरीय ६.(४५).२४० अत्यन्त तेजस्वी वस्त्र अतिवृद्ध५.(८).१९३ __ अपरागता २.६२.९२ अत्यन्त बूढ़ा, अत्यन्त बढ़ा हुआ परागसे भिन्नता, वीतरागता अदभ्र६.(५२).२४३ अपांगसुन्दर २.३७.७६ अकृश अनंग कामके समान सुन्दर, कटाक्षभदेवमातृक ७.(१२).२५७ से सुन्दर मेघवृष्टिपर निर्भर नहीं रहनेवाले अपापा ८.२५.२९९ पापरहित, अप + आप जलके समूहअधरप्रवाल १.७.४ से रहित ओष्ठरूपी किसलयसे सहित अबलाढ्य १.३४.२२ अधिकारुण्य __७.(३).२५३ अबला-स्त्रियोंसे सहित, अबलोंअधिक दयालुता, अधिक लालिमा निर्बलोंसे सहित अनघ१.७.४ अब्ज ४.२५.१५६ निर्दोष चन्द्रमा (पुं) शंख (पुं) कमल (नपुं) देश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001712
Book TitlePurudev Champoo Prabandh
Original Sutra AuthorArhaddas
AuthorPannalal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages476
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size12 MB
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