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________________ परिशिष्टानि ३९९ राजतादि ९.१९.३७ [श] विजया शकटरूषित ८.(३५).२९३ ३.(२७).१०६ पुरिमताल नगरके निकट स्थित ऐशान स्वर्गका एक विमान एक वन रौप्यममीधर शूरसेनविजयार्ध पर्वत ७.(१२).२५७ एक देश श्रीप्रम १.६१.३९ [ल] ऐशान स्वर्गका एक विमान लवणजलधि ८.(१८).३३१ श्रीप्रभगिरि ३.६३.१३५ लवण समुद्र विदेहका एक पर्वत लेखाचल श्रीप्रमविमान८.८.२८५ ३.(६३).११८ सुमेरु पर्वत ऐशान स्वर्गका एक विमान, जिसमें वज्रजंघका जीव श्रीधर देव हुआ श्रीप्रमाद्रि ३.(७०).१२१ [व] विदेहका एक पर्वत ७.(१२).२५७ एक देश [स] वत्सकावती२.(५१).७० सर्वार्थसिद्धि ६.२२.२३३ पुष्करद्वीपके पश्चिम भाग सम्बन्धी पाँच अनुत्तर विमानोंका मध्यवर्ती पूर्व विदेहका एक देश विमान वत्स७.(१२).२५७ साकेत ४.१९.१५२ एक देश अयोध्या नगरीका दूसरा नाम वनभेद७.(१२).२५७ साकेतपुरी ४.(६६).१६९ एक देश अयोध्यानगरी वनवास७.(१२).२५७ साकेतपुर ६.(२२).२२९ एक देश अयोध्या वाह्निक ७.(१२).२५७ सिद्धकूट १.(८२).३८ एक देश विजया पर्वतकी एक शिखर, विजयनामपुर ३.(३४).१०८ जहाँ एक अकृत्रिम जिनालय होता है एक नगर सिन्धु ७.(१२).२५७ विदर्म ७.(१२).२५७ एक देश एक देश सिंहपुर १.७३.३५ विदेह ७.(१२).२५७ पश्चिम विदेहके गान्धिल देशका एक देश एक नगर वृषभाद्रि९.(५५).३४६ सुरपतिनगर-- ९.२२.३३७ विजयाध पर्वतके दक्षिणमें स्थित स्वर्ग एक पर्वत, जिसपर चक्रवर्ती अपनी सुप्रतिष्ठितपुर ३.(३६).१०८ विजय प्रशस्ति अंकित कराते हैं एक नगर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001712
Book TitlePurudev Champoo Prabandh
Original Sutra AuthorArhaddas
AuthorPannalal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages476
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size12 MB
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