SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 435
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४. पुरुदेवचम्पूप्रबन्धस्य भौगोलिकशब्दानुक्रमणिका [ शब्दोंके आगे दिये हुए तीन अंकोंमें पहला अंक स्तबक, दूसरा अंक श्लोक या गद्य तथा तीसरा अंक पृष्ठका है। दूसरे अंकमें कोष्ठक वाला अंक गद्यका है जो कि साधारण संख्याके अनुसार है। ] [ऐ] [अ] [उ] अच्युतकल्प२.(१).४८ उत्तरकुरु ३.(४५).११४ सोलहवाँ स्वर्ग विदेहक्षेत्रमें मेरुका उत्तरवर्ती प्रदेश, अच्युत ३.(८७).१२७ जहाँ उत्तम भोगभूमिकी रचना है सोलहवाँ स्वर्ग उस्पलखेट २.२.४९ अपरान्तिक ७.(१२).२५७ जम्बूद्वीपके पूर्व विदेह सम्बन्धी एक देश पुष्कलावती देशकी एक नगरी उन्मग्नजला ९.(४५).३४२ अंजमगिरि २.३५.७५ विजयाकी गुहामें बहनेवाली एक एक पर्वत नदी अम्बरक्लिक २.(२५).६० विदेहक्षेत्रका एक पर्वत अयोध्या४.(२१).१४७ ऐशानकल्प १.६१.३९ भारतकी एक प्रसिद्ध नगरी दूसरा स्वर्ग अयोध्यानगर२.(५३).७९ [क] धातकीखण्ड द्वीपकी पूर्वदिशा कच्छ १.६७.३३ सम्बन्धी पश्चिम विदेहके गन्धिल पूर्वविदेहका एक देश देशका एक नगर कच्छ ७.(१२).२५७ अरिष्ट १.६७.३३ एक देश पूर्व विदेह क्षेत्रके कच्छ देशका एक करहाट ७.(१२).२५७ नगर एक देश अलका ७.(१२).२५७ विजया पर्वतकी उत्तर श्रेणीकी एक देश एक नगरी कल्याणाद्रि १.(६४).३१ अवन्ती सुमेरु पर्वत ७.(१२).२५७ कलिंगएक देश ७.(१२).२५७ ___ एक देश आन्न ३३.(२७).१०६ एक देश ऐशान स्वर्गका एक विमान आमीर७.(१२).२५७ काम्बोज ७.(१२).२५७ एक देश एक देश १.(१३).९ कर्णाटक ७.(१२).२५७ कांचन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001712
Book TitlePurudev Champoo Prabandh
Original Sutra AuthorArhaddas
AuthorPannalal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages476
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy