SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1-31 खण्ड चतुर्थ : आचार्य उमास्वाति, निनभद्र मणि और पूज्यपाद के अन्यों में ध्यानविमर्श • आचार्य उमास्वातिकृत तत्त्वार्थसूत्र जिनभद्रगणिकृत ध्यानशतक पूज्यपाद - इष्टोपदेश, समाधितंत्र खण्ड पंचम : आचार्य हरिभद मूरि के ग्रन्थों में ध्यान-साधना 1-39 600X3dosdoddasiddlessette..... योगदृष्टि समुच्चय - इच्छायोग, शास्त्रयोग, सामर्थ्ययोग - धर्मसंन्यास और योगसंन्यास, आठ योगदृष्टियाँ योगशतक - निश्चय योग - व्यवहार योग योगविंशिका योगबिन्दु पंचाशकप्रकरण खण्ड पठ। आचार्य शभचन्द्र भास्करनन्दि व सोमदेव के 1-72 साहित्य में ध्यानविमर्श आचार्य शुभचन्द्र : ज्ञानार्णव - ध्यानयोग - ध्यानसिद्धि-साध्यता/असाध्यता द्वादश भावनाएँ - ध्यान का स्वरूप - ध्याता की योग्यता - ध्यान के भेदमैत्री, प्रमोद, कारुण्य, माध्यस्थ्य भावना, ध्यानयोग्य स्थान, आसन, प्राणायाम प्रत्याहार, धारणा - समुद्घात प्रक्रिया। त्रितत्त्व - शिव, गरुड़, कामतत्त्व। आचार्य भास्करनन्दि : ध्यानस्तव आचार्य सोमदेव कृत : योगमार्ग आचार्य सोमदेव कृत : यशस्तिलकचम्पू Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001711
Book TitleJain Dharma me Dhyana ka Aetihasik Vikas Kram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUditprabhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Yoga, Religion, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy