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10.11
जंबूसामि कहाणउ साहइ गउ परतीरे पुहइधरणतुल्लउ चडिवि पोइ लंघइ सायरजलु जा वेलाउलु पावमि तहिं पुणु, हरि-करि किरणवि भंडु नारणाविहु अह हत्थाउ गलिउ दरनिदहाँ धाहावइ तरियहु दीहरगिर निवडिउ एत्थु रयणु अवलोयहों सायरै न? वहंतहों पोयहाँ
वारिणउ को वि परोहणु वाहइ ।। एक्कु जि रयणु किरिगउ बहुमोल्लउ ॥ 2 प्रावंतउ चितइ मणे मंगलु ॥3 विक्कमि ऍउ मारिणक्कु महागुणु ॥ 4 घर जाएसमि निवसंपयनिहु ॥ 5 पडिउ रयणु तं मन्झ समुहहाँ ॥ 6 हा हा जाणवत्तु किज्जउ थिरु ॥ 7 तं प्राणेवि पुणु वि महु ढोयहाँ ॥ 8 कहिँ लब्भइ मारिणक्कु पलोयहाँ ॥ १
पत्ता-इय मणुयजम्मु माणिक्कसमु रइसुहनिद्दावसजायभमु।
संसारसमुद्दि हरावियउ जोयंतु केम पुणु लहमि हउँ ॥ 10
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अपभ्रंश काव्य सौरम
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