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जंपियई
अप्पर पडिकूलु काई
कहे गए से जो अपने लिए प्रतिकूल
कैसे
मि
मो
(जंप→जंपिय→जंपियअ) भूकृ 3/1 'अ' स्वा. (ज) 1/1 सवि (अप्प) 4/1 (पडिकूल) 1/1 वि (काई) 1/1 सवि अव्यय (पर) 4/1 वि अव्यय (त) 2/1 स (कर) विधि 2/1 सक (एत) 1/1 स अव्यय (धम्म )6/1 (मूल) 1/1
दूसरों के लिए नहीं उसको कर
करहि
यह
धर्म का
धम्म मूल
मूल
11. धम्म
धर्म
विसुद्धा
शुद्ध
किज्जइ काएग अहवा
(धम्म) 1/1 (विसुद्धअ) भूकृ 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक (त) 1/1 सवि अव्यय अव्यय (ज) 1/1 सवि (कि+इज्ज) व कर्म 3/1 सक (काअ) 3/1 अव्यय (त) 1/1 सवि (घण) 1/1 (उज्जलन) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक (ज) 1/1 सवि (आव) व 3/1 अक (णाअ) 3/1
पूरी तरह से जो किया जाता है काया से (अपने प्राप से) और वह धन उज्ज्वल
धण उज्जलउ
आवड गाएण
माता है न्याय से
12. अवरु
और
भी
हिं
अव्यय अव्यय (ज) 1/1 सवि अव्यय (उवयर) व 3/1 सक (त) 1/1 सवि (उवयार) विधि 2/1 सक अव्यय
उवयरइ
जो जहाँ उपकार कर (सकता) है वह उपकार करे वहाँ
उवयारहि तित्यु
अपभ्रंश काव्य सौरभ ।
[
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