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भल्ला पोसिया
अव्यय
नहीं (भल्ल→(स्त्री) मल्ला) 1/2 वि
अच्छे (पोस->पोसिय-→ (स्त्री) पोसिया) भूकृ 1/2 पाले गये (दुद्ध) 3/1
दूध से (काला) 1/2 वि
काले (सप्प→(स्त्री) सप्पा)1/2.
काला
सप्प
दाणु
दोसड
बोल्लिज
(दाण) 11
दान (कुपत्त) 4/2
कुपात्रों के लिए (दोस + अड) 1/1 'अड' स्वाथिक
दूषण अव्यय (बोल्ल) ब कर्म 3/1 सक
कहा जाता है अध्यय
नहीं अव्यय
निश्चय हो (भंति) 1/1
भ्रान्ति (पत्थर) 2/1
पत्थर को [(पत्थर)-(णाव) 1/1]
पत्थर की नाव अव्यय (दीसइ) व कर्म 3/1 मक अनि
देखी जाती है (देखी गई) (उत्तार-→उत्तारंत→ (स्त्री) उत्तारंती) वकृi/1 पार पहुंचाती हुई
मंति पत्थर
कहीं
पत्थरगाव कहि दोसइ उत्तारति
7.
जई गिहत्य
दारगण दिणु
यदि गृहस्थ दान के (से) बिना जगत में , कहा जाता है कोई
पभरिगज्जई कोइ।
अव्यय (गिहत्थ) 1/2 (दाण) 3/1 अध्यय (जग) 7/1 (पभरण) व कर्म 3/1 सद (क) I/1 में अध्यय (गिहत्थ) 1/1 (पखी) 1/1 अव्यय (हव) व 3/1 अक अव्यय (घर) 1/1 (त) 6/1 स
गिहत्थ पंखि चि हवह
गृहस्थ पक्षी भी होता है (हो जायेगा) चूंकि घर उसके
घरु
ताह
1. अनिश्चितता के लिए 'इ' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। 2. श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 1501
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
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