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________________ पेयव (पेयवण)1 7/1 अव्यय (गिद्ध) 1/1 अव्यय (मिट्ट) 33/1 अक (पंकअ) 7/1 (मिंग)111 (पइट्ठ) भूक 1/1 अनि श्मशान से इस लोक में गिद्ध नहीं दूर होता है कमल में मौरा घुसा हुमा मिंगु 2. म नहीं तुंबरणारयनेउ अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक [(तुंबर)-(णारय)-(गे) 1/1] अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक [(पंडिय)-(लोय)-(विवेअ) 1/1] छूटता है नारद के सम्बरे का गीत नहीं नष्ट होता है जानी समुबाब का विवेक पंरियलोयविकेट 3. नहीं म फिट्टा दुज्जणे दुटुसहाउ अव्यय (फिट्ट) व 3/I अक (दुज्जण)17/1 [(दुट्ठ) भूक अनि - (सहाम) 1/1] अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक [(गिद्धण)-(चित्त)1 7/1] (विसाम) 1/1 बोमल होता है दुर्जन से दुष्ट स्वभाव नहीं समाप्त होती है निर्धन के चित्त से चिन्ता णिवणचित्ते विसाज 4. ण मोह महाधरणवंते अव्यय । (फिट्ट) 3/1 अक (लोह) 1/1 (महाधणवंत)17/1वि अव्यय (फिट्ट) 3/1 अक (मारण)-(चित्त) 1/1] (कयंत)17/1 जाता है लोम महाधनवान से नहीं मारगचित्तु दूर होता है मारने का भाव यमरान से कर्यते 5. अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक (जोव्वण-इत्त)17/1वि बोवणइत्ते हटता है यौवनवान से 1 कभी-कभी पंचमी विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हे.प्रा.व्या.3-136) । 122 ] [ अपभ्रंश काव्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001710
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1992
Total Pages358
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, L000, & L040
File Size13 MB
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