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दुट्ठ-कलत्तु
दुष्ट स्त्री
जैसे
[(दुट्ठ) वि-(कलत्त) 1/1] अव्यय (भुत्त) भूकृ 1/1 अनि (अणेय) 3/2
भुत्तु
अनुभव किया गया अनेक के द्वारा
अणेयहि
दोसवन्तु मयलञ्छर-विम्व
(दोसवन्त) 1/1 वि [(मलयञ्छण)-(विम्व) 1/1] अव्यय [(बहु)+(दुक्ख)+ (आउरु) [(बहु)वि-(दुक्ख)-(आउर) 1/1 वि] [(दुग्ग)वि (दे)-(कुडुम्व) 1/1] अव्यय
दोषवाला चन्द्रमा का बिम्ब जैसे बहुत दुःखों से पीड़ित
बहु-दुक्खाउन
दुग्ग-कुडुम्बु
दरिद्र कुटुम्ब जैसे
तो भी
तो वि. जीउ
जीव
रज्जहो
अव्यय (जीअ) 1/1 अव्यय (रज्ज) 4/1 (कक्ष) व 3/1 सक अव्यय (आउ) 2/1 (गल→गलन्त) वकृ 2/1 अव्यय . (लक्ख) व 3/1 सक
पादपूरक राज्य को/के लिए इच्छा करता है प्रतिदिन प्रायु को गलती हुई
अणुदिणु प्राउ गलन्तु
ण
महीं
लक्खड़
देखता है
9. जिह
महुविन्दुहे
जिस प्रकार अल की बंद के प्रयोजन से
कम्जे
ऊंट
पेक्खड़
अव्यय [(महु)-(विन्दु1) 6/1] (कज्ज)23/1 (करह) 1/1 अव्यय (पेक्ख) व 3/1 सक (कक्कर) 2/1 अव्यय (जिअ) 1/1 [(विसय)+(आसत्तु)] [(विसय)-(आसत्त) भूकृ 1/1 अनि] (रज्ज) 3/1
कक्कर
महीं देखता है कंकर को उसी प्रकार जीव ने विषय में आसक्त
तिह
जिउ विसयासत्तु
राज्य से
1. श्रीवास्तव, अपघ्रश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ-151। 2. कभी-कभी सप्तमी के स्थान पर तृतीया का प्रयोग किया जाता है (हे. प्रा. व्या. 3--137) ।
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[ अपभ्रंश काम सौरभ
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