________________
सन् १९३३ में All India S. S. Jain's Conference ने जब अजमेर में साधु सम्मेलन करने का विचार किया था तो उस सिलसिले में कमेटी साधुओं को संमेलन में एकत्रित करने के लिये व उस को सफलता देने के लिये भ्रमण में गई थी, पंजाब की ओर से चुने गये उस कमेटी के मेम्बरों में एक अग्रणी आप भी थे। जिन्होंने सारे भारतवर्ष में भ्रमण कर के उस साधु- संमेलन की सफलता के लिये काम किया ।
व्यापार में आप हमेशा सत्यवादी थे और अपने सद्गुणों के कारण अपने कार्यों को बहुत तरक्की दी। जिस को उन के सब से छोटे भाई लाला हंसराजजी के नेतृत्व में सारा परिवार तरक्की पर ले जा रहा है ।
पूज्य सोहनलाल जैन धर्म प्रचारक समिति - वाराणसी के आप स्थापकों में से थे और जीवनभर समिति के हर काम में पूरा पूरा हिस्सा लेते रहे । आप के इसी प्रेम के कारण आप के सारे परिवार को समिति के साथ विशेष लगाव है और उन के भाई लाला हरजसरायजी के नेतृत्व में वे सब समिति के काम में पूरा सहयोग दे रहे हैं ।
लाला रतनचन्दजी का स्वर्गवास १६ फरवरी १९४३ ईस्वी को अमृतसर हृदय की गति रुक जाने से हुआ ।
प्रस्तुत पुस्तक में महाकवि धनपालका जीवन वृत्तान्त दिया गया है। उसकी हिन्दीभाषा की शुद्धिके लिये एल. डी. आर्टस् कॉलेज के हिन्दी के प्रधान अध्यापक भाई रणधीरभाईने जो सहायता दी है उनके लिये मैं उनका सविशेष आभारी हूँ ।
बेचरदास
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org