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________________ अलंकारदप्पण अण्णपरिअरो जहा (अन्यपरिकरो यथा) तुरियाइ - तुरिय-गमणो णिअम्ब-भर-मंथराइ खलिअ-पओ । मग्गेण तीअ वच्चइ पेल्लावल्लीअ तरुणि जणो ।। ८५ । । त्वरितातित्वरितगमनः नितम्बभरमन्थरातिस्खलितपदः । मार्गेणातीत्य व्रजति पीड्यमानः तरुणीजनः ।। ८५ ।। शीघ्रातिशीघ्र चलने वाला, नितम्बभार के कारण मन्द तथा स्खलित डगों वाला धक्कामुक्की खाता हुआ तरुणीजन मार्ग से बचकर जा रहा है । यहाँ पर तरुणीजन की गति का पूर्वकथित (पूर्वानुभूत) वर्णन के समान ही कथन होने से अन्यपरिकर अलंकार है । यहाँ वस्तु का स्वाभाविक वर्णन होने से न कि अन्य वाक्यार्थ की तुलना होने से चमत्कार है । यहाँ पर तरुणीजन जातिवाचक शब्द है उसके तीन विशेषण हैं। अतः आचार्य रुद्रट के अनुसार परिकरालंकार के चार भेदों (द्रव्य, गुण, क्रिया, जाति) में से यह जातिपरिकर का उदाहरण भी बन जाता है । सहोक्ति तथा ऊर्जालंकार का लक्षण ३५ बहु वत्युच्चि किरिआ समकाल-पआसणं सहोउत्ति । गुरु- वीर - जाइ - रइओ जाअइ उज्जा अलंकारो ।।८६ ॥ बहुवस्तूचितक्रिया समकालप्रकाशनं सहोक्तिः । गुरुवीरजातिरचितो जायते 'ऊर्जोऽलंकारः ।। ८६ ।। अनेक वस्तुओं के योग्य क्रिया का भी जहाँ समकाल में प्रकाशन होता है उसे सहोक्ति अलंकार कहते हैं । जहाँ श्रेष्ठ वीरों के स्वभाव का कथन होता है उसे ऊर्जा अलंकार (ऊर्जस्वि अलंकार) कहते हैं आचार्य भामह ने ऊर्जस्वि अलंकार का लक्षण नहीं दिया । केवल अधोलिखित उदाहरण दिया है। - उर्जस्विकर्णेन यथा पार्थाय पुनरागतः । द्विः सन्दधाति किं कर्णः शल्येत्यहिरपाकृतः ।। काव्यां ३ / ६ ॥ सहोक्ति अलंकार वस्तुतः वहाँ पर होता है जहाँ एकार्थ का अभिधायक शब्द 'सह' 'समम्' आदि सहार्थक शब्द के बल से दोनों अर्थों का अवगमन कराता हैसा सहोक्तिः सहार्थस्य बलादेकं द्विवाचकम् । -का. प्र. Jain Education International जैसे 'सह तनुलतया दुर्बला जीविताशा' यहाँ पर सह के प्रयोग के कारण 'दुर्बला' शब्द तनुलता और जीविताशा इन दोनों पदों के साथ समकाल में अन्वित होता है। अर्थात् उस विरहिणी की गात्रयष्टि तथा जीवन की आशा दोनों दुर्बल हो गई हैं। १. बल अर्थ में ऊर्ज शब्द अकारान्त पुलिंग है - "ऊर्जः कार्तिके बले” हेमेः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001707
Book TitleAlankardappan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2001
Total Pages82
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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