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संस्करण नं. ८ ( गूर्जर० ) में व्याकरण की दृष्टि से गाथा नं. १०३ और १०५ में; और छन्द की दृष्टि से गाथा नं. १०४ में त्रुटियाँ हैं ।
उपरोक्त त्रुटियों की स्पष्टता नीचे गाथानुसार की जा रही है । यह केवल उदाहरण के तौर पर है । जिससे प्रस्तुत सम्पादन की विशेषता जानी जा सकती हैसं० पा० = संशोधित पाठ
सं० पा०
संस्करण १. सिद्धर्षि.
२. बालाव०
४. रामवि०
५. शाह कुं०
६. रत्नप्र०
७. पद्मवि
८. गूर्जर ०
-
५. शाह कुं०
६. रत्नप्र०
७. पद्मवि
८. गूर्जर ०
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नरयगइगमणपsिहत्थए कए तह पएसिणा रन्ना ।
सं०
० पा० अमरविमाणं पत्तं तं आयरियप्पभावेणं ।
संस्करण
गमण
पतं
हत्थाए
हथ्थ्यए
१०
आयरिअ
आयरिअ
आयरिअ
आयरिअ
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रणा
रण्णा
रण्णा
रण्णा
रण्णा
१०३ अ
१०३ ब
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