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________________ १४. ए कम्परेटिव स्टडी आफ दी लैंग्वेज ऑफ पउमचरियं एण्ड वसुदेवहिण्डी । - डॉ. के. आर. चन्द्र ३१वा आल इण्डिया ओरिएण्टल कन्फरेंस प्रोसीडिंम्स राजस्थान युनिवर्सिटी जयपुर । २९-३१ दिसम्बर १९८२. १५. छन्दोऽनुशासन ४.१. (हमचन्द्र) १६. बृहद् अनुवाद चन्द्रिका, पृ० ५७४. १७. छन्दोऽनुशासन २.१४१. १८. वही, ३.९. १९. Ludwig Alsdorf Kleine Schriften Franz Steiner Verlag GMBH Wiesbaden, 1974, pp. 195-96. २०. .....उपदेशमालाख्य कृति: अपश्चिमतीर्थकृच्छ्रमणभगवच्छ्रीमहावीरप्रभुवरदकरानन्तलन्धिभाजन भूतैः निष्कारणकरुणावरुणालयैः श्रीमद्भिर्धर्मदासगणिवरैरपारघोरसंसारवारिधिनिमजद्रणसिंहादिभाव्यनेकभव्यसत्त्वोबिधीर्षया निर्णीताऽस्ति ....... । - उपदेशमाला सटीका ___ - रत्नप्रभसूरि : उपक्रम, पृ० १७ (सन् १९५८) २१. History of Indian Literature, p. 560. २२. धर्मोपदेशमाला - विवरण प्रास्ताविक वक्तव्य, पृ० १३ (सन् १९४९) २३. प्राकृत साहित्य का इतिहास, पृ० ४९१ (१९६१) २४. विस्तृत विवरण के लिए देखें - "द्विवेदी अभिनन्दन ग्रन्थ में "आर्यकालक" नामक लेख, २५. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य, साध्वी संघमित्रा, पृ० ४१. (१९८६) २६. वही, पृ० ४२. २७. नन्दीसुत्त एण्ड अणुओगहाराई - प्रस्तावना, पृ० ५०. (१९६८) २८. उपदेशमाला सटीका रत्नप्रभसूरि, प्रस्तावना, पृ० २०. 28. Comparative Study of the Language of Paumacariyam and Vasudevahindi - Dr. K. R. Chandra. ३०. मात्र "तुह" शब्द का प्रयोग हुआ है और वह केवल एक बार मिलता है । ३१. यह प्रयोग एक ही बार मिलता है । ३२. वसुदेवहिण्डी उपोद्घात, पृ० २, बी. जे. सांडेसरा । (१९४६) १०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001706
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorDharmdas Gani
AuthorDinanath Sharma
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2000
Total Pages228
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, literature, & Sermon
File Size11 MB
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