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भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान
ग्रंथमालायें जिनमें महत्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं १ आगमोदय समिति, सूरत व बम्बई २ जीवराज जैन ग्रंथमाला (जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर) ३ जैन आत्मानंद सभा, भावनगर ४ जैन धर्म प्रसारक सभा भावनगर ५ देवचन्द लालभाई पुस्तकोद्धार फंड. बम्बई व सूरत ६ माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रंथमाला, बम्बई ७ मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला (भारतीय ज्ञानपीठ, काशी) ८ यशोविजय जैन ग्रंथमाला, बनारस व भावनगर ६ रायचन्द्र जैन शास्त्रमाला (परमश्र त प्रभावक मंडल, बम्बई) १० सिंघी जैन ग्रंथमाला (भारतीय विद्याभवन, बम्बई)
अर्धमागधी जैनागम पृ. ५५ से ७५ तक जिन ४५ आगम ग्रंथों का परिचय दिया गया है उनका . मूलपाठ टीकाओं सहित दो तीन बार कलकत्ता, बम्बई व अहमदाबाद से सन् १८७५ और उसके पश्चात् प्रकाशित हो चुका है। ये प्रकाशन आलोचनात्मक रीति से नहीं हुए। इनमें का अन्तिम संस्करण आगमोदय समिति, द्वारा प्रकाशित है । किन्तु यह भी अब दुर्लभ हो गया है। स्थानकवासी सम्प्रदाय में मान्य ३२ सूत्रों का पहले अमोलक ऋषि द्वारा हिन्दी अनुवाद सहित हैदराबाद से (१९१८) व हाल ही मूलमात्र प्रकाशन सूत्रागम प्रकाशन समिति द्वारा किया गया हैं (गुडगांव, पंजाब, १९५१) विशेष सावधानी से भूमिकादि सहित प्रकाशित कुछ ग्रंथ निम्न प्रकार हैं :४६ आचाराङ्ग-ह. याकोबी (पा. टै. सो. लंदन, १८८२)
उन्हीं का अंग्रेजी अनुवाद (सै. बु. ई. २२) प्रथम श्रु तस्कंध (शब्दकोष व पाठ-भेदों सहित)-वा. शुब्रिग, लीपजिंग १६१०, (अहमदा
बाद, सं. १९८०) ५० सूत्रकृताङ्ग (नियुक्ति) सहित - प. ल. वैद्य (पूना, १६२८) शीलाङ्ककृत
टीका व हिन्दी अनुवादादिसहित भा. १-३-जवाहिरलाल महाराज
(राजकोट वि. सं १९६३-६५ ५१ भगवती, शतक १-२० हिन्दी विषयानुवाद, शब्दकोष आदि, मदनकुमार
मेहता (कलकत्ता वि. सं. २०११)
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