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पाप
पाव
श्रायुध
श्राउह आदि
शौरसेनी में दो स्वरों के मध्य में स्थित 'त' को 'द' होता है।
शौरसेनी
कधिद
तदो
पदिखा
मंतिद
संस्कृत
कथित
ततः
प्रतिज्ञा
मन्त्रित
( ३४ )
संस्कृत
जनपद
जानाति
गर्जित
श्रापवादिक नियमों को छोड़ शौरसेनी में जिन परिवर्तनों के नियम बताए गए हैं वे सब मागधी, पैशाची, चूलिका-पैशाची और अपभ्रंश भाषा में भी समझने चाहिए
२
प्राकृत
।
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कहि
तों
पड़ण्णा
मंति
( पालि भाषा में भी 'त' को 'द' होता है। देखिये -- पा० प्र० पृ० ५६-त = द )
मागधी भाषा में 'ज' को 'य' होता है । 3
मागधी
यणवद
यादि
गय्यिद
प्राकृत
जणवा
जाणइ
गजिश्र
( पालि भाषा में भी 'ज' को 'य' होता है। देखिये - पा० प्र० पृ० ५७-ज = य )
१. हे० प्रा० व्या० ८|४| २६० । २. हे० प्रा० व्या० ८|४| ३०२, ३२३, ४४६ । ३. हे० प्रा० व्या० ८|४| २६ २२
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