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________________ [ ] २५५ कुटुम्बी २५६ पृष्ठ अशुद्ध २५५ दुहि (दुःलिन् ) = दु दुहि (दुःखिन् )-दुःखी । પૂછ્યું कु कुंबि कुडुंबि कोडुबिभ (कौटुम्बिक) कोडुबिअ (कौटुम्बिक)= कुटुम्वी सुत्तहार (सूत्रहार) सुत्तहार (सूत्रधार) ૫૭. पट्टोल (पट्टकूल)=पटोल पट्टोल (पट्टकूल) पटोला नाम का कपड़ा २५७ महिलानयर मिहिला नयर २५७ रूप रुप्प २५७ रुप्प रुप २५८ अचेलय, अएलय (अचे- अचेलय, अएलय (अचेलक)=बिना वस्त्र का लक) ऐलक, बिना वस्त्र का २५८ थोड़ा, इषत् थोड़ा, ईषत् २६० मुद्ग (मूंगी) मुद्ग (मूग) तमौली पान... तम्बोली पान .. गुरुणमंतिए... गुरूणमंतिए... २६१ मक्चू ... मच्चू .. २६१ गुरुणो अनुसासणं... गुरुणो अणुसासणं... २६१ तुमे नचिस्सह... तुमे नच्चिस्सह... २६३ 'काहे' इत्यादि 'काहं' इत्यादि २६३ टिप्पण, ३ दिस (दश) दिस दृश) " ". जा (हया) जा (या) जानिस्सति जाइस्सति द्वि० अह, अमु द्वि० अह, अमुं माराभिशंकि माराभिसंकि रूप रूव २६६ डझमाण (दह्यमान) डज्झमाण (दह्यमान) जला हुभा। जलता हुआ। २६० २६१ . , २." २६७ २६७ २६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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