SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 481
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्द सत्तणवइ सत्ततीसा सत्तपण्णासा सत्तम सत्तमी सत्तर-सत्तर-७० संख्या सत्तरस सत्तरह सत्तारे सत्तसहि सत्तसत्तरि अर्थ सद्द सद्दह (घा० ) सद्धा सद्धि सप्प सत्ताण वह सत्तावन्ना सत्तावीसा सत्ताठीह सत्ति सत्थ सत्थवाह = संघ का नायक सत्थि = स्वस्ति- शुभ आशीर्वाद सत्थि सथिल्ल Jain Education International ( ६८ ) पृष्ठाङ्क ३८८३ ३८१ ३८२ २८२ १०३ ४७ ३८० ३८० ३८२ ३८२ ३८३ ३८३ ३८२ ३८१ ३८१ ३१५ २११ ७१ ७० २८१ २८१ ४३, ५८, १८६ २६८ ७८, ३१३ १८८४ २२६ शब्द सप्फ= कुमुद सबघ ( अप० ) = शपथ समरी=मछली अर्थ सभल= सफल सभलअ ( अप० ) = सफल समवाय = समूह समायर् (धा०) समार् (घा० ) समारंभ सम समण समणी समत्त = समस्त - समग्र समत्तदंसि = शबर - किरात-भील अनार्य जति का मनुष्य समिज्झाइ ( क्रि० ) = अच्छी तरह से दीप्तिमान है समिद्धि समुद्द= समुद्र - दरिया समुद्र = 99 समुह सामने सय सयद सयंभु सययं For Private & Personal Use Only पृष्ठाङ्क ६३, ७१ ४१. ४१ ४१. ४१. १६६, २०१ १८६ ३१६ ७०० ५३ ३३ २१३. ३२५: २८३ ७६: १७, ३२८: ६१, १७५. १७५ ६८ ३८४ ४५, १८८: २४१ २१२, २५८ www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy