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८.
९.
हस
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(
२६ )
'ऋ' को अरि"
श्राहत
वेदना
देवर
'ह' को 'ढि
२
दरिश्र
एका परिवर्तन
'ए' को 'इ'
'ए' को 'ऊ'४
स्तेन
थूण, थे
( पालि भाषा में किसी-किसी शब्द में 'ए' को 'श्री' होता है । द्वेष- दोस, देखिये - पा० प्र० पृ० ५५ - ए = श्रो )
उच्चैस् चै
*श्रादिश्र
१. हे० प्रा० व्या० ८ | १|१४४ । * श्रादृत शब्द के रूप का विकास तरह से होना चाहिए ? ( ? ) ४. हे० प्रा० व्या० ८ | १|१४७ |
विश्ररणा
दिर
ऐ का परिवर्तन
'ऐ' को 'अ"
उच्चन
नीच
२. हे० प्रा० व्या० ८|१|१४३ । श्ररिश्र श्राश्रि आदि इस २. हे० प्रा० व्या० ८|१|१४६ | ५. हे० प्रा० व्या० ८|१|१५४ |
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