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________________ - ( ५० ) ६१ शब्द अर्थ पृष्ठाङ्क शब्द अर्थ पृष्ठाङ्क फास-स्पर्श ८२, १८६ बम्हण-ब्राह्मण ७२, ७३, ८०, २०७ फासे हियासए-फासे+अहियासए= बरिह मोर के पीछ-पंख-पाँख ७४ अच्छे-बुरे स्पर्शों को बलिश मछली को फंसाने का सहन करता है ६५ काँटा १२८ फुट्ट (धा०) २७० बहप्फइ-बृहस्पति-बीफे २७, २८,८० बहस्सइ= , , ८०,८४ बंधव-भाई-स्वजन ३५, ३८, २०० बहि आ १८६ बंधु%3D , ६८,२१४ बहिणीबहिन ८४, ३१७ बभचेर ब्रह्मचर्य-सदाचार ७२, ८०, बहिणीवह २८. २१० बहिदा ૨૯૪ बंभणब्राह्मण ७३, २०० बहिया १८६ बंभयारि ब्रह्मचारी २५४ बझबाह्य-बाहर का १८३ बहुअट्ठियअधिक हड्डी युक्त ६३ बज्झइ(क्रि०) बांधा जाता है ६७ ।। बहुत्त-बहुत ५०, ८१ बज्झओ १८६ बहुवी-बहुत-(नारी जाति में बढर=मूर्ख विद्यार्थी ५२ प्रयुक्त) ७४ बदर-बेर का फल वा वृक्ष बहुव्वीहिबहुव्रीहि नाम का समास १०२ बत्तीसा बहू अवगूड-बहू से आलिंगित ६३ बद्ध २०१ बहूदगबहुत पानी वाला ६४ बप्फबाफ-गरमी अथवा भाफ ८१ बहूपमा बहू की उपमा ६४ बब्बर बर्बर-संस्कारहीन बहूसास-बहू का उच्छ्वास बम्भण-ब्राह्मण बहेडअ-बहेड़ा २४, ४७ बम्ह ब्रह्म-परमात्मा ७२ बाणवइ ३८३ बम्हचरिअ-ब्रह्मचर्य ७३ बाताम (सं० ) १२६ बम्हचेर , ७२,८०, २११ बार द्वार ६०, १३०, २८१ WWWW । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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