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( २७ ) ऋ का परिवर्तन 'ऋ' को 'श्रा"
कासा, किसा माउक्क, मउचण
कृशा
मृदुत्व
'ऋ' को 'इ'२ उत्कृष्ट
उक्किह ऋषि
इसि ऋद्धि
इदि शृगाल
सिनाल हृदय
हिश्रय धृष्ट
घिद्य, घट्ट पृष्ठि
पिडि, पहि बृहस्पति बिहप्फह, बहप्फह मातृष्वसु माइसिश्रा, माउसिश्रा मृगांक
मियंक, मयंक (पालि भाषा में भी 'अ' को 'ई' होता है। देखिये-पा० प्र. पृ०-२, -ह )
पैशाची भाषा में हृदय के बदले हितप रूप बनता है। हृदयहितप । हृदयक, हितपक ।
१. हे० प्रा० व्या०८१११२७। २. हे० प्रा० व्या०८/१११२८, १२६, १३०। ३. हे० प्रा० व्या०८४३१०॥
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