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________________ शब्द अर्थ दुलि (सं० ) = कछुआ दुल्लह दुवार = द्वार- दरवाजा दुवारिअ = द्वारपाल दुवालस दुवे दुसय दुस्सह - असह्य - कष्ट से सह्य दुस्सस्स दुस्सीस दुह=दुःख दुहअ = दुर्भग-अभागा दुहा = दो प्रकार दुहि दुहिअ = दुःखी दुहिआ=लड़की दू दूहव = असुन्दर - कमनसीब दूहवो = देउल = देवालय देक्खु (धा० > देर= द्वार - दरवाजा देवउल= देवालय देवज्ज = दैव ज- देवज्ञ-भाग्य ज्ञाता देवष्णु= देवत "" "" Jain Education International ( ३७ ) शब्द अर्थ देवत्थुइ = देव की स्तुति देवथुइ = " देवदाणवगंधव्वा = देव, दानव और गंधर्व पृष्ठांक १२८ २८८ ८७, २८१ ३२ ३८० १४४ ३८४ ५६ २६८ २६८ ८१ ૪૫ २३ २५५ ८१ ८३ १६३ ४५ १६३ ५५ १४० २१, ८७ ५५ ६१ ६१ ३८३ १०२ देवर = देवर - पति का छोटा भाई १८० देविंद २२६ देव-दैव-भाग्य देस दो पृष्ठांक ८२ ८२ दोगच्चं दोणि दोवयण द्विवचन दोस ( पालि ) = द्वेष दोसिअ = दोशी- कपड़ा बेचनेवाला साथ नगाड़ा बजाना द्रमिड (सं० ) = द्रविड़ देश द्रह - भील - पानी का कुंड ध बजाज दोहल - दोहद-गर्भिणी स्त्री की अभिलाषा दोहा - द्विधा - दो प्रकार द्रगड ( सं० ) = नौबत - शहनाई के धअ = ध्वज-भंडा धंक ( पालि ) = कौआ-टंक ३० २२५ १४४ १६३ १४४ २३ २६, १८३ For Private & Personal Use Only २५६ ४६ २३ १२८ १३० दर्द ५८ ६४ www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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