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________________ अर्थ शब्द दड्ढ=जला हुआ चळह (पालि ) = दृढ दणु=राक्षस-दानव दणुअ = राक्षस-दावन दणु अवह=दानव का वन दणुत्रह= दण्ड दद्दु दन्त "" दब्भ=दर्भ - डाभ दरिअ = दर्पयुक्त - छका हुआ दरिसण दर्शन - देखना दलिद्द-दरिद्र - आलसी दव = प्रवाही - रस वाला पदार्थ दस-दस - संख्या विशेष दसबल = बुद्ध भगवान् दसम दस लक्ख दसार= वासुदेव दह-पानी का कुण्ड झील दह = दस संख्या दहण दहर (सं० ) = छोटा -दभ्र दह लक्ख दह सहस्स -दहि Jain Education International ( ३५ ) पृष्ठांक शब्द ७८ ११६ ५५ ५५ ५५ ५५ २५६ ३१६ १८२ ४८ २६ ७४,८७ ५२ ६१ ५४, ३८० ४५ २८२ ३८४ ८० ६१ ५४, ३८० २८१ दहीसर = मलाई दह् ( घा० ) दा अर्थ दाडिम= अनार दाघ = दाह - जलना दाढा=दाढ दाढिका=" दाण दाणि= अभी-संप्रति दाणि= " दामोअर = दामोदर = कृष्ण दार-दार-द्वार- दरवाजा २१, दाद दाशी (सं० ) = दासी दाह- दाह - जलना दाहिण= दक्षिण- दक्ष दाहिण= दाँया, दक्षिण तरफ पृष्ठांक ६४ ४८, २०२ १५० २६३ ११५ ८३ १३२, १३४ २११ दिअह=दिवस दिग्ध = दीर्घ- लंबा १३३ ३८४ ३८४ २४१ For Private & Personal Use Only दिअ = हाथी ६० दिअर = देवर = पतिका छोटा भाई २६ ૪ ८३, ६७ ६७ दिट्ठि=दृष्टि-नजर २५ ६०, ८७ २८१ १३१ ११५ १७, ८१ १६६ पू६-८१ २५५ दिग्घाउ=लंबी आयुवाला दिति - दिह + इति - देखा हुआ ६६ दिविआ = मंगल वा हर्ष का सूचक ८६, ११७ ६८ www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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