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( ३१५ )
१
गिरा ( गिर् ) = गिरा, वाणी ।
१
पुरा ( पुर् ) = पुरी - नगर, नगरी ।
संपया, संप ( संपदा ) = सम्पत्ति |
चंदिआ, चंद्रिका ( चंद्रिका ) = चाँदनी, चन्द्रमा की ज्योति, चाँदी ।
चन्दिमा ( चन्द्रिका ) = चन्द्र की चांदनी ।
रच्छा ( रथ्या ) = रथ चलने योग्य मार्ग, गली, बाजार |
[ निर्देश - ' अच्छरसा' से लेकर 'संपआ' पर्यन्त शब्दों का मूल
आकारान्त नहीं है । इसका ध्यान विशेष रखें । ]
जुत्ति ( युक्ति) = युक्ति - योजना ।
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रत्ति ( रात्रि ) = रात्रि, रात ।
माइ ( मातृ ) = माता | भूमि (भूमि) = भूमि, पृथ्वी ।
जुवइ ( युवति) = युवति, जवान स्त्री ।
धूलि ( धूलि ) = धूल ।
रइ ( रति ) = रति, प्रेम, राग ।
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मइ ( मति ) = मति, बुद्धि । दिहि, धि ( घृति ) = धृति, धैर्य । सिप्पि ( शुक्ति) = सीप | सत्ति (शक्ति) = शक्ति, बल । सति ( स्मृति ) = स्मृति याद । दित्ति ( दीप्ति ) = दीप्ति - तेज |
पंति ( पक्ति ) क्ति, कतार, लाइन ।
थुइ ( स्तुति ) = स्तुति ।
कयली ( कदली ) = केला |
हे० प्रा० व्या० ८|१|१६|
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