________________
.. ( ३०१ ) स्त्रीलिंग
नपुंसक भणतो, भणंता
भणंतं, भणमाणं भणमाणी, भमाणा
होतं, होतं होअंती, होता, होती, होता होअमाणं, होमाणं होअमाणी, होअमाणा, होमाणी, होमाणा भण्-भणेज्ज, भणेज्जा हो-होएज्ज, होएज्जा, होज्ज, होज्जा
स्त्रीलिंग में 'न्तो', 'न्ता' तथा माणी' और 'माणा' प्रत्यय लगाये जाते हैं। इस प्रकार के क्रियातिपत्ति के बहुवचनीय प्रयाग बहुत कम उपलब्ध होते हैं तथा प्रथमा विभक्ति में ही इनका प्रयोग होता है, अन्य विभक्तियों में नहीं।
वाक्य (हिन्दी) मुनि पाप को बरजे । आचार्य को कुपित मत करो। खेत में बीज बोओ। धार्मिक काम के लिए जल्दी कर । चाहता हूँ, वह धर्म के लिए धन का प्रयोग करे । पुत्र पढ़े तो पण्डित बने ( क्रियातिपत्ति ) । श्रद्धा रखता हूँ वह सत्य वचन बोले । समय है में धन इकट्ठा करूं। चाहता हूँ तू अच्छे काम के लिए सम्मति दे । गुरु के पास शिष्य को ले जा। तुझ को व्रत के लिए सूचित करूँ ?
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org