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संस्कृत
प्राकृत विसम्म
वीसंभ उस
ऊस निस्व
नीस विकस्वर
विकासर निस्सह
नीसह (पालि भाषा में भी ऐसा परिवर्तन होता है । जैसे; परामर्श-परामास-देखो पालि-प्रकाश, पृ० ११ टिप्पण )
- दीर्घ से ह्रस्व' संस्कृत
प्राकृत अाम्र
अम्ब ताम्र
तम्ब तीर्थ
तित्थ मुनीन्द्र
मुणिन्द चूर्ण
चुन्न-चुराण
नरिंद म्लेच्छ
मिलिच्छ
मिलिक्ख नीलोत्पल
नीलुप्पल (पालि भाषा में भी दीर्घ का ह्रस्व-ए का 'ई',श्रो का 'उ' तथा औ का 'उ' होता है। देखो, पा० प्र०-पृ०८, नियम ११, पृष्ठ ५५ और पृ० ५)
नरेन्द्र
१. हे० प्रा० व्या० वाश८४।
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