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सोलहवाँ पाठ
आज्ञार्थक प्रत्यय एकवचन
बहुवचन प्र०पु० मु म०पु० सु, हि (स्व, हि) ह (ध्वम् )
इज्जसु, इज्जहि, इज्जे तृपु० उ, तु (तु)
न्तु ( अन्तु ) पालि भाषा में आज्ञार्थक को 'पंचमी' के नाम से पहिचानते हैं । संस्कृत में श्री हेमचन्द्राचार्य ने भी यही नाम स्वीकार किये हैं परन्तु पाणिनीय व्याकरण में आज्ञार्थ को 'लोट् कहते हैं। पुरन्त प्राकृत में ये ही प्रत्यय आज्ञार्थ में तथा विध्यर्थ में समान रीति से उपयोग में आते हैं (देखिए हे० प्रा० व्या० ८।२।१७३ तथा १७६; हे० प्रा० व्या० ८।३।१७५) ।
बहुव०
* पालि में 'पंचमी' के प्रत्यय :
परस्मैपद एकवच० प्र.पु० मि म०पु० हि तृ०पु० तु
आत्मनेपद प्र०पु० ए म०पु० स्सु तृ०पु० तं
HN
अंतु
आमसे
अंतं
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