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________________ श्रोज्झरी श्रश्रालि काले ( ? ) गडयडी गागरी गर्गरी छासी जोवारी १० ) होजरी उदर (पेट) एली हेली - वरसादनी एली, बरसाती गड़गड़ाहट कीड़ा गगरी, गागर गडगडाट छाछ (मट्ठा) जुवार, ज्वार (अनाज) गागर Jain Education International छाश जुवार देश्य शब्दों में तामिल तेलुगु और अरबी-फारसी आदि अनेक भाषाओं के शब्द भी होते हैं | शब्द रचना प्राकृत शब्दों को समझने के लिए प्राचीन काल से ही संस्कृत शब्दों के माध्यम से प्राकृत बनाने की जो परम्परा चली आयी है, प्रस्तुत पुस्तक में उसी परम्परा का श्राश्रय लिया गया है । स्वरों का सामान्य परिवर्तन जिन नियमों के साथ नागरी अंक लगे हुए हैं उन्हें सामान्य नियम समझना चाहिये और जिन नियमों के साथ अंग्रेजी क लगाये हुए हैं उन्हें विशेष नियम समझना चाहिए । इसी प्रकार खास-खास भाषाओं के नाम लेकर परिवर्तन के जो नियम बनाये गये .. हैं वे सूचित नियम उन खास भाषाओं के साथ सम्बन्धित हैं और जो नियम किसी विशेष भाषा का नाम लिये बिना अथवा प्राकृत भाषा का नाम लेकर बताये गये हैं वे साधारणतः यहाँ बतायी गयी सभी भाषाओं के साथ सम्बन्ध रखते हैं । परन्तु इन नियमों के प्रयोग करने से पहले अपवादात्मक नियमों की ओर पूरा ध्यान देना अनिवार्य है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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