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ग्यारहवाँ पाठ
भूतकालिक प्रत्यय* स्वरांत धातुओं में लगनेवाले प्रत्यय :
एकवचन - बहुवचन प्र० पु० सी', ही, हीअ ( सीत्') म० पु० , " " "
तृ० पु० , , , " * प्राकृत भाषा में भूतकाल के कोई भेद नहीं है। ह्यस्तनी, अद्यतनी
और परोक्ष-ये तीनों सामान्य भूतकाल में समाविष्ट हो जाते हैं और इन तीनों के प्रत्यय भो समान ही हैं तथा भूतकाल के तीनों पुरुष तथा सब वचनों के प्रत्यय भी समान है। पालि भाषा में तो संस्कृत के समान ‘हियतनी', 'अज्जतनी' और 'परोक्ख'-~ये तीन भेद भूतकाल के हैं तथा इन तीनों के आत्मनेपद तथा परस्मैपद के तीनों पुरुषों तथा सब वचनों के प्रत्यय भिन्न-भिन्न हैं। हियतनी ( ह्यस्तनी ) परस्मैपद के प्रत्यय :एकव०
बहुव० १. पु० अ, अं
म्हा २. पु० ओ, अ
त्थ ३. पु० आ, अ
ऊ, उ, उं आत्मने पद के प्रत्यय :१. पु० ई २. पु० से ३. पु त्थ
म्हसे
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