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________________ अण्णयर, अन्नयर अंतर अवर अहर इम इयर उत्तर एण, इक्क, एक्क एय, एअ तुम्ह अम्ह क कइम, कयर अमु ज कतम ( १६६ ) ( अन्यतर ) ( अंतर ) = अन्दर का, ( अपर ) = अपर, अन्य दूसरा । 1 ( अधर ) = नीचा । ( इदम् ) = यह । Jain Education International दूसरा कोई । ( इतर ) = कोई अन्य ( उत्तर ) उत्तर दिशा, उत्तर का । ( एक ) = एक 1 ( एतद् ) = यह । ( युष्मद् ) = तू | ( अस्मद् ) = मैं । ( किम् ) = कौन । ( कतम ) = कितना । ( कतर ) = कौन - सा । ( अदस् ) = यह । ( यद् ) = जो । आन्तरिक । त, ण ( तद् ) = वह । दाहिण, दक्खिण (दक्षिण) = दक्षिण, दक्षिण का । 'पुरिम ( पुरा + इम) पहले का, पूर्व । पुव्व ( पूर्व ) = पूर्व, पूर्व का । वीस ( विश्व ) = विश्व, सर्व ( सब ) । स, सुव (स्व) = स्व, अपना, आत्मा का । सम ( सम ) = सब । सध्व ( सर्व ) = सर्व, सब । १. दे० पृ० ८३ शब्दों में विविध परिवर्तन | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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