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________________ ( १८७ ) खंघ पोक्खर खय कोस पाण ( स्कन्ध )=स्कन्ध, भाग, मोटी डाली । (पुष्कर )= तालाव । (क्षय ) =क्षय । ( कोश ) = पानी निकालने का कोस, खजाना। (प्राण )= प्राण, जीव । (गन्ध ) गंध । (काम)= काम, इच्छा, तृष्णा । __ ( आत्मन् )= आत्मा, स्वयं । गंध काम अप्पाण जल गो ) गुत्त गहण नपंसकलिंग शब्द (जल)= जल, पानी । रयय ( रजत ) = रजत, चाँदी। गीत (गीत) = गीत, गाया हुआ। सीस ( शीर्ष ) = मस्तक, सिर । (गोत्र )= गोत्र, वंश ।। (ग्रहण )= ग्रहण करने का साधन । पञ्जर (पञ्जर )= पिंजड़ा। सील ( शील) = शील, सदाचार । . ( लावण्य )= लावण्य, कान्ति । रसायल ( रसातल )= रसातल, पाताल । कुम्पल, कुंपल ( कुड्मल ) = कुंपल, कोंपल, अंकुर । रुप्प ( रुक्म ) = चाँदी। जुम्म, जुग्ग (युग्म) = युग्म, जोड़ा । काम (कर्म) = कर्म, काम, अच्छी-बुरी प्रवृत्ति। लावण्ण लायण्ण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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