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( १७० ) तृ. वीर + ऐण = वीरेण (वीरेण), "वोर + एहि वीरेहि (वोरेभिः)
वीरेणं वीरेहि, वीरेहि (वीरैः) वीर + आय = वीराय (वीराय), वीर + ण-वीराण (वीराणाम् ,, वीर + आए = वोराए वीराणं वीर + स्स= वीरस्स (वीरस्य) *वीर + आ =वीरा (वीरात्), वीर + ओ= वीराओ
वीरहो, वीर, वीरा। वीरा । वीराहु, वीरहु, वोराहे, वीरहे। वीराहुं, वीरहुं । वोरस्सु, वीरासु, वोरसु, वीराहो, वीराह, वीरहं । वीरहो, वीर, वीरा। वीरि, वीरे।
वीराहिं, विरहिं । वीरु, वीरो, वीर, वीरा। x वीराहो, वोरहो,
वीर, वीरा। x वैदिक छान्दस-'देवासः' रूप के साथ 'वोराहो' रूप की तुलना हो सकती है।
४. हे० प्रा० व्या० ८।३।६।, ८।३।१४।, ८।१।२७। ५. हे० प्रा० व्या० ८१३७, ८।३।१५। ६. हे० प्रा० व्या० ८।४।४४८१, ८।३।१३१, १३२॥ ७. हे० प्रा० व्या० ८।३।६।, ८।३।१२। * पांचमी विभक्ति में निम्न अधिक रूप बनते हैं : एकवचन
बहुवचन वीर + तो = वोरातो
वीरातो वीर+तु = वोरातु
वीरातु वीर+हि = वीराहि वीर + हिंतो = वीराहितो
वीर + त्तो-वोरत्तो (वीरतः) वीरत्तो (वीरतः) ८. हे० प्रा० व्या० ८।३।८१, ८।३।१२। ९. हे० प्रा० व्या० ८।३।।
वीराहि, वीरेहि,
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