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प्रकाशक की ओर से
सम्यग् ज्ञानको पढने पढाने व लिखने लिखाने वालों की भाँति उसका रक्षण व प्रचार करने वाले भी केवलज्ञानादि आत्मरिद्धि के भोक्ता बनते हैं । इसी शास्त्रवचन को स्मरण में रखकर हमने इन शास्त्रग्रन्थों के प्रकाशन का प्रस्तुत कार्य हाथ में लिया है । ग्रन्थों का प्रकाशन व प्रचारादि सुचारु रूप से हो यह हमारी समिति का उद्देश है । हम गच्छाधिपति सिद्धान्तमहोदधि परमपूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराज से अत्यन्त उपकृत हैं, जिन्होंने जैनशासन के निधानरूप इस भव्यातिभव्य कर्मसाहित्य का सर्जन करवाया व जिनकी असीम कृपा से हमने श्रुतभक्ति का अपूर्व अलभ्य लाभ पाया, उन पुण्यपुरुष के पवित्र चरणों में वन्दन कर हम अपनी आत्मा को धन्य मानते है ।
पदार्थसंग्रहकार विद्वान मुनिवरों, गाथाकार विवेचनकार मुनिराज इन सब महात्माओं को वन्दना करते हैं, जिन्होंने अथाग परिश्रम लेकर कर्मसिद्धांत को विशद रूप दिया मय का व्यय करके इस 'स्वगसेटो' ग्रन्थ की समालोचनात्मक सुन्दर - विशद प्रस्तावना लिखकर पू० मुनिराज श्री हेमचन्द्रविजयजी महाराज ने बडा अनुग्रह किया है । इन सब पूज्य पुरुषों के प्रति सवन्दन कृतज्ञता प्रदर्शित करते हैं ।
इस 'खवगसेढी' ग्रन्थ के प्रकाशन में रू० १००००) जैसे प्रचुर द्रव्य का विनियोग कर श्री पिन्डवाडा निवासी सिरोहीरोड रेल्वे स्टेशन के पास भव्यात्माओं के बोधिबीजका अवन्ध्यनिमित्त श्री नमिनाथजिनप्रसाद के निर्माता ( १ ) श्रेष्ठिवर्य श्राद्धरत्न रतन चन्दजी होराचन्दजी (२) श्रेष्ठवर्य साधर्मिकन्धु खुबचन्दजी अचलदासजी (पचहत्तर हजार रूपये के चढावे से पिन्डवाडा गाँव के वीरविक्रम प्रासाद के उपर ध्वजा लहराने वाले व भा० प्रा० त० प्र० समिति के ट्रस्टी साहब) ने हमारी समिति को बड़ा सहयोग दिया है । हम इन दोनों महानुभावों के आभारी हैं । इस प्रकाशन कार्य में जिन्होंने अपने तन मन धन का स्वल्प भी व्यय किया है, उन सबको भी बारबार धन्यवाद ।
भगवान हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज विरचित सिद्धहेमशब्दानुशासन की मध्यमवृत्ति का दूसरा भाग जो समिति के ज्ञानोदय प्रेस में छपा है, वह भी इस के साथ पाठकों के करकमलों में पेश हो रहा है ।
इस अवसर पर ज्ञानोदय प्रेस के मेनेजर श्रीयुत फतहचन्दजी जैन, प्रेमकॉपी करने वाले श्री पन्नालालजी सी० जैन बाफना (थाना पालडी) चित्रकार पंचाल व प्रेस के अन्य कर्मचारी भी स्मृति पथ में आ रहे हैं, जिन्होंने इस कार्य में आत्मीयता प्रकट की है ।
पिण्डवाड़ा
स्टे• सिरोहीरोड ( राजस्थान ) १३५ / ३७ जौहरी बजार बम्बई २
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हस्ताक्षर
१ शा० समरथ मल रायचन्दजी (मन्त्री)
२ शा० शान्तिलाल सोमचन्द ( भाणाभाई) चोकसी (मन्त्री)
३ शा० लालचन्द छगनलालजी (मन्त्री)
भारतीय प्राच्य तत्त्व- प्रकाशन समिति,
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