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स्वात्मेतरविकल्पै: स्वान्ययोरप्यनालोच्य स्वामिगुरुबन्धु हतं ज्ञानं क्रिया
हते निष्पीडिते
हत्वा स्वपुण्य
हरिहरपितामहाद्याः
हस्त्यश्वरथ
हंसाली पात
हारकुण्डल हिताहितविमूढात्मा
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श्लोकानुक्रमणिका
1528
हितोपदेश
522 हिंसाकर्मणि
1005
हिन्द
315
हिसानन्दोद्भवं
1226
हिंसायाम
942
हिंसास्तेयानृता ब्रह्म
638
हिंसैव दुर्गतेः
1800
हिसैव नरकागार
2054
1806
हिंसोपकर णादानं
297
हीनाचरण
369
1228
1225
1236
477
1702
490
484.
1237
780
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हृत्कञ्जकर्णिका हृदि ज्वलति
हृदि दत्ते तथा
हृदि यस्य पद
हृदि स्फुरति
हृषीकतस्करानीकं
हृषी भीमभोगीन्द्र
हृषीकराक्षसाक्रान्तं
हृषीकराक्षसानीकं
हृषीकार्थ
७२५
1947
607
646
579
1021
1038
1019
39
835
57
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