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अध्याय - ५.
अहिंसा के आदर्श की उपलब्धि की सम्भावनाएँ.
यद्यपि आन्तरिक और बाह्य रूप से पूर्ण अहिंसा के आदर्श की उपलब्धि जैन दर्शन का साध्य है, लेकिन व्यवहार के क्षेत्र में इस आदर्श की उपलब्धि सहज नहीं है। अहिंसा एक आध्यात्मिक आदर्श है और आध्यात्मिक स्तर पर ही इसकी पूर्ण उपलब्धि सम्भव है, लेकिन व्यक्ति का वर्तमान जीवन अध्यात्म और भौतिकता का एक सम्मिश्रण है। जीवन के आध्यात्मिक स्तर पर पूर्ण अहिंसा सम्भव है, लेकिन भौतिक स्तर पर पूर्ण हिंसा की कल्पना समीचीन नहीं है । अहिंसक जीवन की सम्भावनाएँ भौतिक स्तर से ऊपर उठने पर विकसित होती हैं । व्यक्ति जैसे-जैसे भौतिकता के स्तर से ऊपर उठता जाता है, वैसे-वैसे अहिंसक जीवन की पूर्णता की दिशा में बढ़ता जाता है । इसी आधार पर जैन धर्म में अहिंसा की दिशा में बढ़ने के लिए कुछ स्तर निर्धारित हैं ।
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हिंसा का वह रूप, जिसे संकल्पजा हिंसा कहा जाता है, सभी के लिए त्याज्य है । संकल्पजा हिंसा हमारे वैचारिक या मानसिक जगत् पर निर्भर है। मानसिक संकल्प के कर्ता के रूप में व्यक्ति में स्वतंत्रता की सम्भावनाएँ सर्वाधिक विकसित हैं। अपने मनोजगत् में व्यक्ति अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्र है । इस स्तर पर पूरी तरह से अहिंसा का पालन अधिक सहज एवं सम्भव है । बाह्य स्थितियाँ इस स्तर पर हमें प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन शासित नहीं कर सकतीं । व्यक्ति स्वयं अपने विचारों का स्वामी होता है, अतः इस स्तर पर अहिंसक होना सभी के लिए आवश्यक है । व्यवहारिक दृष्टि से संकल्पजा हिंसा आक्रमणकारी हिंसा है । यह न तो जीवन के रक्षण के लिए है और न जीवन निर्वाह के लिए है, अतः यह सभी के लिए त्याज्य है ।
हिंसा का दूसरा रूप विरोधजा है। यह प्रत्याक्रमण या सुरक्षात्मक है । स्व एवं पर के जीवन एवं स्वत्वों के रक्षण के लिए यह हिंसा करनी पड़ती है। इसमें बाह्य परिस्थितिगत तत्त्वों का प्रभाव प्रमुख होता है । बाह्य स्थितियाँ व्यक्ति को बाध्य करती हैं कि वह अपने एवं अपने साथियों के जीवन एवं स्वत्वों के रक्षण के लिए प्रत्याक्रमण के रूप में हिंसा करे। जो भी मनुष्य शरीर एवं अन्य भौतिक संस्थानों पर अपना स्वत्व रखना चाहते हैं अथवा जो अपने और अपने साथियों के अधिकारों में आस्था रखते हैं, वे इस विरोधजा हिंसा को छोड़ नहीं सकते । गृहस्थ या श्रावक हिंसा के इस रूप को पूरी तरह छोड़ पाने में असमर्थ होते हैं, क्योंकि वे शरीर एवं अन्य भौतिक वस्तुओं पर अपना स्वत्व रखना चाहते हैं ।
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