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________________ 104 आचारदिनकर (भाग-२) __ जैनमुनि जीवन के विधि-विधान एवं अनुज्ञा की क्रिया करे। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत् सभी क्रियाएँ छ:-छ: बार करे। पाँचवें दिन :- पाँचवें दिन योगवाही आयम्बिल-तप एवं एक काल का ग्रहण करे तथा सातवें और आठवें उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करे। इसकी क्रियाविधि में योगवाही क्रयाएँ छ:-छ: बार करे। इसकी क्रियाउद्देश छठवें दिन :- छटें दिन योगवाही आयम्बिल-तप एवं एक काल का ग्रहण करे तथा नवें उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करे। इसके साथ ही द्वितीय अध्ययन के समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया भी करे। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत् सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करे। सातवें दिन :- सातवें दिन योगवाही आयम्बिल-तप एवं एक काल का ग्रहण करे तथा तीसरे अध्ययन के उद्देश की क्रिया करे। इसके साथ ही प्रथम एवं द्वितीय उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करे। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत् सभी क्रियाएँ सात-सात बार करे। आठवें दिन :- आठवें दिन योगवाही आयम्बिल-तप एवं एक काल का ग्रहण करे तथा तीसरे एवं चौथें उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करे। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत् सभी क्रियाएँ छ:-छ: बार करे। नवें दिन :- नवें दिन योगवाही आयम्बिल-तप एवं एक काल का ग्रहण करे तथा पाँचवें और छटें उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करे। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत् सभी क्रियाएँ छः-छ: बार करे। दसवें दिन :- दसवें दिन योगवाही आयम्बिल-तप एवं एक काल का ग्रहण करे तथा सातवें और आठवें उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करे। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत् सभी क्रियाएँ छः-छ: बार करे। ग्यारहवें दिन :- ग्यारहवें दिन योगवाही आयम्बिल-तप एवं एक काल का ग्रहण करे तथा नवें और दसवें उद्देशक के उद्देश, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001694
Book TitleJain Muni Jivan ke Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size15 MB
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