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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 5) आचार्य भिक्षु की अनुशासन शैली । (घ) जीवनी साहित्य - 1) आचार्य तुलसी जीवन यात्रा, 2) स्मृति के दर्पण में, 3) विकास पुरुष ऋषि हेम । इनके अलावा अब तक 89 पुस्तकों का आपने संपादन किया है। आपकी प्रवचन शैली और कार्यशैली भी निराली है, जहां भी आप पधारती हैं वहां अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान के महत्वपूर्ण आयोजन होते हैं। साध्वी जिनप्रभाजी " लाडनूं" ने साध्वी प्रमुखाजी संदर्भ में अनेक संस्मरण लिखे हैं।
7.11.56 श्री स्वयंप्रभाजी 'सरदारशहर' (सं. 2017 - वर्तमान) 9/325
आपके पिताश्री महालचंदजी गोठी हैं। आपने 19 वर्ष की अवस्था में आषाढ़ पूर्णिमा को केलवा में दीक्षा ग्रहण की। अनेकों आगम, टीका, चूर्णि, संस्कृत, प्राकृत आदि का अध्ययन किया तथा अवधान विद्या का सौ तक अभ्यास किया। आपका साहित्य - ( 1 ) अर्थ खोजते आखर, (2) मुक्त - विचार, (3) पीयूष - पराग, (4) सप्तर्षि, (5) खिलता गुलशन (6) व्याख्यान गुलदस्ता आदि प्रमुख है। आप तपस्विनी भी हैं, 8 मासखमण व एक बार 121 दिन आछ व पानी के आधार से तप किया। संवत् 2037 से आप अग्रणी साध्वी हैं।
7.11.57 श्री कंचनप्रभाजी 'सुजानगढ़' (सं. 2019 - वर्तमान) 9 / 338
श्रीमाल गोत्रीय श्री हाथीमलजी आपके पिताश्री हैं, आपने 20 वर्ष की वय में कार्तिक कृ. 9 (प्रथम) को आचार्य तुलसी द्वारा उदयपुर में दीक्षा ग्रहण की। इनके साथ 1 श्रमण व 5 श्रमणियाँ (कुल 7) दीक्षित हुईं। आपने सप्तवर्षीय कोर्स में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 'कच्छ में तेरापंथ', 'चिन्तनचर्या', 'अंजना महासती', 'धनदकुमार', 'रुक्मिणी मंगल', 'लीलावती' आदि आपकी मौलिक कृतियां हैं। संवत् 2038 से आप अग्रणी साध्वी हैं।
7.11.58 श्री सत्यप्रभाजी 'देवगढ़' (सं. 2020 - वर्तमान) 9 / 351
छाजेड़ गोत्र के श्री गणेशमलजी के यहां आपका जन्म हुआ। आपने 19 वर्ष की वय में आचार्य तुलसी द्वारा सुजानगढ़ में फाल्गुन कृष्णा 5 को दीक्षा ग्रहण की। आपने 'साधना की सौरभ जिसमें श्री हुलासाजी की (सिरसा) जीवनी हैं, तथा 'हरिषेण भीमषेण' आदि 6 व्याख्यान बनाये । तपस्या में भी आप अग्रणी हैं, उपवास से 15 तक की लड़ीबद्ध तपस्या करके रसना इन्द्रिय पर विजय प्राप्त की, कुल तप दिन 1545 हैं। इसके अलावा आप 36 बार दस प्रत्याख्यान, अढ़ाई सौ प्रत्याख्यान, 13 वर्षों से श्रावण-भाद्रपद में एकांतर भी करती हैं।
7.11.59 श्री अमितप्रभाजी 'बीदासर' (सं. 2021 - वर्तमान) 9 / 360
आप श्री इन्द्रचंदजी बैंगानी की आत्मजा हैं, संवत् 2004 अक्षय तृतीया के दिन आपका जन्म हुआ। आपने 17 वर्ष की उम्र में आचार्य श्री तुलसी से मृगसिर शुक्ला 7 को बीदासर में दीक्षा ग्रहण की। आप सहनशील एवं ज्ञान पिपासु हैं, सौ अवधानों के सफल प्रयोग कई जगह कर चुकी हैं। आपने उपवास से 11 दिन तक की लड़ी 15, 25 व मासखमण की तपस्या भी की है, बीस वर्षों से श्रावण मास में एकांतर तप करती हैं।
7.11.60 श्री जिनप्रभाजी 'लाडनूं' (सं. 2022 - वर्तमान ) 9 / 362
आप चिमनीरामजी कुचेरिया की सुपुत्री हैं, आपने 20 वर्ष की उम्र में कार्तिक शु. 13 को आचार्य तुलसीजी द्वारा 'दिल्ली' में दीक्षा ग्रहण की। आपके साथ 1 श्रमण व 2 श्रमणियाँ दीक्षित हुईं। स्थानकवासी श्रमणसंघ के
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