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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
हैं। मासखमण, एकान्तर, बेले-बेले वर्षीतप आदि उग्र तपस्याएँ भी की हैं। 6.5.2.30 श्री कौशल्याबाई (सं. 2026 से वर्तमान)
आप बांकानेर के श्री नानचंदभाई व समजूबेन की पुत्री हैं। माटुंगा में दीक्षा अंगीकार की। आपका जीवन अत्यंत व्यवस्थित है। 16, मासखमण, सिद्धितप, छ?-अट्ठम का वर्षीतप आदि घोर तपस्याएँ की हैं। 6.5.2.31 श्री जयंतिकाबाई (सं. 2026 से वर्तमान)
आप लोंबड़ी के श्री कपूरचंद नागरदास की सुपुत्री हैं, माटुंगा में आपकी दीक्षा हुई। प्रारंभ किये हुए कार्य को पूर्ण करने की लगन इनकी निजी विशेषता है, सेवाभाविनी, मधुरभाषिणी भी हैं। आपने 16 उपवास छट्ठ (बेले) का वर्षीतप, सिद्धितप आदि महान तपस्याएँ की हैं। 6.5.2.32 श्री मृदुलाबाई (सं. 2026 से वर्तमान) ___आप धोलेरा ग्राम के शांतिभाई गांधी की सुपुत्री हैं। धोलेरा में ही फाल्गुन कृ. 8 को आपकी दीक्षा हुई। आप तप द्वारा आत्मशुद्धि कर रही हैं, कुछ न कुछ तप चालु ही रहता है। 6.5.2.33 श्री मनोरमाबई (सं. 2028 से वर्तमान)
आप कालावाड़ के श्री हिंमतभाई दवाणी की सुपुत्री हैं। वढवाण में माघ कृ. 5 के दिन आप दीक्षित हुईं। आप सेवाभाविनी साध्वी हैं, विषम परिस्थिति में भी मनको स्थिर रखने की कला में निपुण हैं।
6.5.2.34 श्री सरोजबाई (सं. 2028 से वर्तमान)
__आप वढवाण निवासी सुखलाल मोतीचंद की कन्या हैं। आपकी दीक्षा वढवाण में ही माघ कृ. 13 के दिन हुई। आपको संयम धन अत्यंत कठिनाई के द्वारा प्राप्त हुआ, अतः उसकी सुरक्षा में उतनी ही जागरूक हैं, आप सरल, दयालु व मधुरकंठी हैं। 6.5.2.35 श्री साधनाबाई (सं. 2028 से वर्तमान)
आप बरबाला के श्री जीवनराज रणछोड़भाई की सुपुत्री हैं। लोंबड़ी में वैशाख कृ. 13 को आप दीक्षित हुईं। आप प्रवचन प्रभाविका हैं, साधुजीवन के लिये उपयोगी कला को हस्तगत कर लेने की सदा चाह रहती है।
6.5.2.36 श्री कनकप्रभाबाई (सं. 2028 से वर्तमान)
आप मोटीवावड़ी ग्राम के निवासी श्री हरगोविंद भाईचंदजी की कन्या हैं, लींबड़ी में वैशाख कृ. 13 को आपकी दीक्षा हुई। आप कोमल, स्नेही एवं कार्यकुशल हैं। प्रवचन शैली एवं कंठकला अच्छी होने से आप शासन की प्रभावना में अपना खूब योगदान देती हैं। वर्षीतप की आराधिका भी हैं।
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