________________
Jain Education International
For Private & Personal Use Only.
(www.jainelibrary om
516
क्रम
36.
37.
39.
38 श्री वारिषेणाश्रीजी
40.
41.
42.
साध्वी नाम
श्री राजप्रज्ञाश्रीजी
O
श्री विश्वरत्नाश्रीजी 2011 महुवा
जन्म संवत् स्थान पिता नाम
1996 मांडवी
मणिलाल महेता
श्री उदययशाश्रीजी
श्री लक्षगुणाश्री
श्री यक्षपूर्णाश्रीजी
1994 घाटकोपर
2005 ध्रांगध्रा
- महुवा
नगीनदास दोशी
श्री कीर्तिषेणाश्रीजी 2006 घाटकोपर रायचंद गांधी 2025 मृ. कृ. 3
1975 सिहोर
त्रिभोवनदास
दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्था
2023 पो. शु. 11
अमदाबाद
- मा. कृ. 11
दलीचंदभाई
2025 मृ. कृ. 3
व्रजलाल पारेख
दलीचंदभाई 2028. कृ. 12
2028. शु. 4
2028 वै. कृ. 5
महुवा
मुंबई
अहमदाबाद श्री शशिप्रभाश्रीजी
ध्रांगध्रा
महुवा
गुरूणी
विशेष विवरण (संवत् 2038 तक)
श्री शशिप्रभाश्रीजी विशारद, संस्कृत भूषण, तप- पास
क्षमण, मासक्षमण, सिद्धितप वर्षीतप 20 स्थानक आदि । तीन शिष्याएँ- विश्वरत्नाश्री, कोटीगुणाश्री, भव्यरत्नाश्रीजी ।
सिहोर
श्री राजप्रज्ञाश्रीजी
श्री शशिप्रभाश्रीजी
श्री कीर्तियशा श्रीजी
श्री शशिप्रभाश्रीजी
श्री रत्नमालाश्रीजी
6 कर्मग्रंथ, योगशास्त्र, ज्ञानसार, संस्कृत का अभ्यास, तप-8, 15
उपवास
आगम-ग्रंथों का ज्ञान, तप- वर्षीतप, चौबीसी, नवपद ओली, 20 स्थानकतप
आगम ग्रंथों की अभ्यासी, तप- 15 उपवास, मासक्षमण, सिद्धितप वर्षीतप, 20 स्थानक, नवपद ओली, वर्धमान ओली, चौबीसी तप । अभ्यास श्रेष्ठ, तप- 16, उपवास, वर्धमान ओली 15, 20 स्थानकतप अभ्यास श्रेष्ठ, तप- 11 उपवास, वर्षीतप सिद्धितप, नवपद ओली, बीस स्थानक
मासक्षमण, सिद्धितप, धर्मचक्र, डेढ़मासी, अढ़ीमासी, चारमासी, छः मासी, कर्मसूदन, वर्धमान ओली 36, सहस्रकूट, कर्मसूदन, 99 यात्रा, 2000 गाथा स्वाध्याय
रोज, संवत् 2047 में स्वर्गस्थ, पुत्र सुमतिसागर व पौत्री दर्शितमालाश्री नाम से दीक्षित
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास