________________
(घ) आचार्य विजयनेमिसूरीश्वरजी का श्रमणी समुदाय67
Jain Education International
क्रम ।
साध्वी नाम | जन्म संवत् स्थान | पिता नाम | दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान | गुरूणी
विशेष विवरण (संवत् 2038 तक)
1. D श्री चंपाश्रीजी | 1932 खंभात
|छगनभाई
1948 मृ. शु. 11 | खंभात
2. 0| श्री गुणश्रीजी | - खंभात
कस्तूरभाई
| 1972 मृ. शु. 11 | अमदाबाद
| 3. D श्री प्रभाश्रीजी | 1945 खंभात
नाथाभाई
| 1975 मा. शु. 14
-
114.DI श्री चंपकश्रीजी | 1944 अमदाबाद | गोकलदास
| 1975 मृ. शु. 5
आदरज
For Private & Personal Use Only
512
| मासक्षमण, वर्षीतप, सिद्धितप, 20)
स्थानक, वर्धमान तप, कर्मसूदन, पर्युषण में अठाई, नवपद ओली वर्ष में
2, संवत् 1995 पालीताणा में स्वर्गस्थ | गुलाबश्रीजी | मधुरवाणी, शासन प्रभाविका, स्वयं की
9 शिष्याएँ, संवत् 2011 वेजलपुर में|
दिवंगत श्री चंपाश्रीजी | गहन ज्ञानाभ्यास, मासक्षमण, सिद्धितप,
वर्षीतप, छमासी, चातुर्मासिक तप, पर्युषण में अठाई, 16 शिष्या 41
प्रशिष्या, संवत् 2031 महुआ में दिवंगत | श्री नवलश्रीजी| इनकी दीक्षा से इनके पिता, काका,
काकी, भाई, भाभी आदि कई जन प्रेरित होकर दीक्षित बने। स्वंय की 35
शिष्या-प्रशिष्याएँ, संवत् 2022 में दिवंगत | श्री प्रभाश्रीजी | साहसी, चतुर, समभावी, संवत् 2022
खंभात में स्वर्गस्थ | लाभश्रीजी ज्ञानसाधना व चारित्र आराधना उच्च
कोटि की। संवत् 1984 में दिवंगत, गुरू भगिनी अमरश्रीजी भी अध्यात्म
प्रवृत्ति की थीं। | श्री पद्माश्रीजी| मासक्षमण, पासक्षमण, 6 अठाई,
वर्षीतप, सिद्धितप, 20 स्थानक, वर्धमान तप, कर्मसूदन तप, 15 शिष्याएँ, संवत् 2043 भावनगर में दिवंगत
| श्री देवश्रीजी
| 1950 महुआ
छोटालालभाई| 1977 आषा. शु. 10/ महेसाणा
6. O| श्री सुभद्राश्रीजी | 1955 भावनगर | शा. हुकमचंद | 1978 वै. शु. 11 | भावनगर
7.
श्री प्रमोदश्रीजी
| 1971 खंभात
| सकरचंदभाई |1983 आषा. शु. 8 | राजनगर
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
www.jainelibrary.org |
667. जिनशासन नां श्रमणीरत्नो, पृ. 432-93