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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 19वीं सदी में खरतरगच्छाधिपति भट्टारक श्री जिनलाभसूरि, श्री जिनचंद्रसूरि तथा श्री जिनहर्षसूरि द्वारा जिनशासन में अनेकों श्रमणियाँ दीक्षित हुईं। उनका मात्र नाम एवं संवत् ही प्राप्त होता है, अतः उनका परिचय तालिका में दिया जा रहा है। 5.1.3 खरतरगच्छ की अन्य विदुषी श्रमणियाँ (19वीं 20वीं सदी ) 220 क्रम साध्वी नाम दीक्षा संवत् तिथि श्री भक्तिसिद्धि श्री रत्नसिद्धि श्री फतैसिद्धि श्री लालसिद्धि श्री रूक्मसिद्धि श्री महासिद्धि श्री विवेकसिद्धि 1. 2. 3. 4. 5. 1810 मृ. कृ. 5 1810 मृ. कृ. 5 1810 मृ. कृ. 5 1810 मृ. कृ. 5 1821 वै. शु. 3 3 12. श्री अमृतलक्ष्मी 1821 वै.शु. 1821 वै. शु. 3 1824 वै. शु. 3 1824 वै. शु. 15 13. श्री सरूपसिद्धि 14. श्री मलूकसिद्धि 1825 15. श्री अमृतसिद्धि 16. श्री पुष्पशोभा 1825 17. श्री विनयसिद्धि 1825 18. श्री अक्षयसिद्धि 19. श्री कुशललक्ष्मी 1825 पो. शु. 7 1825 पो. शु. 7 1825 पो. शु. 7 6. 7. 8. श्री जयचूलाजी 9. श्री रत्नचूलाजी 10. श्री फूलसिद्धि 11. श्री राजसिद्धि 20. श्री जयसिद्धि 21. श्री फूलसिद्धि 22. श्री अमृतसिद्धि 23. श्री अमरसिद्धि 24. श्री रत्नसिद्धि 1805 वै.शु. 5 1810 मृ. कृ. 5 1810 मृ. कृ. 5 1810 मृ. कृ. 5 1810 मृ. कृ. 5 Jain Education International 1830 फा. कृ. 2 1830 फा. कृ. 2 1830 फा. कृ. 2 1830 फा. कृ. 2 दीक्षा स्थान जैसलमेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर तलवाड़ा तलवाड़ा तलवाड़ा उदयपुर देशनोक भुंभा दड़ा भुंभा दड़ा भुंभा दड़ा पालिताणा पालिताणा पालिताणा पालिताणा दीक्षा प्रदाता श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि 308 श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि श्री जिनलाभसूरि गुरुणी For Private & Personal Use Only श्री जीव सिद्धि श्री नैणसिद्धि श्री लाण्यसिद्धि श्री रत्नसिद्धि श्री मलूकसिद्धि श्री विनयसिद्धि श्री वीरचूला श्री वीरचूला श्री रूपलक्ष्मी श्री रूपलक्ष्मी श्री रूपलक्ष्मी श्री भावसिद्धि श्री भावसिद्धि श्री नैणसिद्धि श्री दीपशोभा श्री रत्नसिद्धि श्री लावण्यसिद्धि श्री रूपलक्ष्मी श्री सरूपसिद्धि श्री रत्नसिद्धि श्री रत्नसिद्धि श्री विनयसिद्धि श्री रत्नचूला 52. महो. विनयसागर, 'नाहटा भंवरलाल' संपादक- खरतरगच्छ दीक्षा नंदी सूची, पृ. 122-165 प्रकाशक - प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर 1990 ई. विशेष विवरण नाहटा परिवार से www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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