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5.1.49 श्री विनयसिद्धि, आगमवृद्धि ( संवत् 1323 )
श्री जिनेश्वरसूरि द्वारा संवत् 1323 मार्गशीर्ष कृष्णा 5 जाबालिपुर में श्री विनयसिद्धि और आगमवृद्धि को दीक्षा प्रदान की थी 150
5.1.50 श्री अनंतलक्ष्मी, व्रतलक्ष्मी, एकलक्ष्मी, प्रधानलक्ष्मी (संवत् 1324 )
संवत् 1324 मार्गशीर्ष कृष्णा 2 शनिवार के दिन जाबालिपुर में ही अनंतलक्ष्मी आदि 4 मुमुक्ष बहनों ने श्री जिनेश्वरसूरि से प्रव्रज्या अंगीकार की । "
5.1.51 कल्याणऋद्धि गणिनी (वि. संवत् 1330 )
आपको संवत् 1330 मिती वैशाख कृ. 6 के शुभ दिन श्री जिनेश्वरसूरिजी ने जाबालिपुर (जालोर) में 'प्रवर्तिनी' पद से अलंकृत किया था । 2
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
5.1.52 गणिनी केवलप्रभा, हर्षप्रभा, जयप्रभा, यशप्रभा ( संवत् 1331 )
श्री जिनप्रबोधसूरि के पद स्थापना महोत्सव पर संवत् 1331 फाल्गुन शुक्ला 5 के शुभ दिन केवलप्रभा'हर्षप्रभा', 'जयप्रभा', 'यशप्रभा' ने दीक्षा अंगीकार की। खरतर दीक्षा नंदी सूची व खरतरगच्छ के इतिहास में पदारोहण के 12 दिन पश्चात् दीक्षा लेने का उल्लेख है । 4 श्री केवलप्रभा जी की योग्यता व विद्वत्ता का मूल्यांकन करते हुए संवत् 1369 मार्गशीर्ष कृष्णा 6 के दिन उन्हें पाटण नगर में 'प्रवर्तिनी' पद पर प्रतिष्ठित किया | S
5.1.53 श्री लब्धिमाला, पुण्यमाला (संवत् 1332 )
श्री लब्धिमाला और पुण्यमाला ने संवत् 1382 को जाबालिपुर में श्री जिनप्रबोधसूरि से दीक्षा अंगीकार की । उस समय वहां श्री जिनेश्वरसूरिजी की मूर्ति स्थापना भी हुई थी 1
5.1.54 गणिनी कुशल श्री (संवत् 1333 )
आपको संवत् 1333 माघ कृष्णा 13 को जाबालिपुर में श्री जिनप्रबोधसूरिजी ने 'प्रवर्तिनी' पद से विभूषित किया था। आचार्य श्री चैत्र कृष्णा 5 संवत् 1333 में शत्रुंजय महातीर्थ की यात्रा हेतु जाबालिपुर से प्रस्थित हुए
60. ख. बृ. गु., पृ. 51
61. ख. बृ. गु., पृ. 52
62. (क) ख. बृ. गु., पृ. 54, (ख) ख. इति., पृ. 118
63. ख. बृ. गु., पृ. 54
64. (क) ख. दी. नं. सू., पृ. 14 (ख) खर का इति पृ. 120
65. ख. बृ. गु., पृ. 64
66. ख. बृ. गु., पृ. 55
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