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________________ यद्यपि यह सब भी भण्डारों में सुरक्षित जैन ग्रन्थों के दस प्रतिशत से अधिक की सूचना नहीं देता है। अनेक ग्रामों व नगरों में लाखों की संख्या में जैन ग्रन्थ भण्डारों में पड़े हैं किन्तु न तो उनकी कोई व्यवस्थित सूची है, न ही कोई उन्हें खोलकर दिखाना चाहता है। फिर भी साध्वी जी ने जहाँ ऐसे ग्रन्थ देखने को उपलब्ध हो सके उनको देखने का प्रयत्न किया है। साधु जीवन में पद-यात्रा करके सभी स्थानों पर पहुँच पाना भी संभव नहीं था । फिर भी उन्हें जो भी सामग्री मिल पायी है उसे ईमानदारी से समाहित करने का प्रयत्न किया है। जैन श्रमणी संघ के इस इतिहास में विभिन्न जैन सम्प्रदायों की श्रमणियों एवं उनके अवदानों का संकलन आवश्यक था, किन्तु तेरापंथ संप्रदाय को छोड़कर कहीं से भी व्यवस्थित जानकारी या सूचना उपलब्ध नहीं हो सकी। दिगम्बर संप्रदाय में तो लगभग एक हजार वर्ष की सुदीर्घ अवधि में श्रमणी संस्था का कोई सुव्यवस्थित उल्लेख ही प्राप्त नहीं होता है। विगत 50-60 वर्ष में उसमें जो श्रमणी - संघ (आर्यिका संघ) का विकास हुआ है, वह महत्वपूर्ण तो है किन्तु इस संबंध में भी व्यवस्थित जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनका मुनि समुदाय सीमित संख्या में होते हुए भी अनेक आचार्यों के नेतृत्व में बंटा हुआ हैं और प्रत्येक का अपना श्रमणी समुदाय है । यद्यपि श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में विभिन्न गच्छों में साध्वी परम्परा अविछिन्न रूप से चलती रही है, फिर भी उनका व्यवस्थित इतिहास नहीं मिलता है। मात्र प्रकीर्ण रूप से कुछ सूचनाएँ मिलती है। यद्यपि स्थानकवासी संप्रदाय विगत 500 वर्षों से ही अपने अस्तित्व में आया है किन्तु इसमें भी ग्रन्थ प्रशस्तियों को छोड़कर साध्वियों के कहीं कोई व्यवस्थित उल्लेख नहीं है, जो भी सूचनाएँ उपलब्ध है, वे मात्र 100-150 वर्षों की है। साध्वी विजय श्री जी ने एक सूचना पत्रक का प्रारूप बनाकर भी विभिन्न साध्वियों को भेजा था ताकि उनकी परम्परा की एक व्यवस्थित सूचना मिल सके लेकिन उसके सकारात्मक परिणाम उतने उपलब्ध नहीं हो सके। स्थानकवासी ज्ञानगच्छ Jain Education International (xxxvi) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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