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मंगलमय उद्गार
डॉ. साध्वी विजयश्रीजी 'आर्या' का महाशोध निबंध "जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास" विषयक अपने आप में अनूठा है। इस ग्रंथ की यह प्रमुख विशेषता है कि चारों संप्रदायों की श्रमणी संस्था का योगदान और उनका लेखा-जोखा एक ही स्थल पर उपलब्ध हो जाता है। साथ ही सैंकड़ों ऐसी साध्वियों के कार्यों का भी महासाध्वीजी ने विवरण प्रस्तुत किया है जो अश्रुतपूर्व है। जैन जगत में प्रकाशित होने वाला यह श्रमणियों का सर्वप्रथम संदर्भ ग्रंथ है। इस ग्रंथ से हम एक-दूसरे की परम्परा, सम्प्रदाय आदि का भी परिचय प्राप्त कर सकेंगे, इस प्रकार यह ग्रंथ अनेकता में एकता का संदेशवाहक है तथा श्रमणियों के गौरव को बढ़ाने वाला है, उसके लिये 'आर्या' जी को मैं हृदय से धन्यवाद देता हूँ।
__ आचार्य मुनिचंद्रसूरि मु. बेणप, ता.वाव, जि. बनासकांठा
385320 (उ.गु.)
ता. 20.8.2006 मंगल कामना
युवाचार्य डॉ. श्री विशाल मुनि जी महाराज महासती श्री विजयश्रीजी ने “जैन साध्वियों का बृहद इतिहास" जैसे महत्वपूर्ण विषय पर शोध ग्रन्थ लिखाकर के साध्वियों के महत्वपूर्ण कार्यों का आकलन प्रस्तुत किया हैं नारी जाति के गौरव को आगे बढ़ाया है। इस ग्रन्थ से अनेक ऐतिहासिक प्रसंगों का ज्ञान होगा। जन-जन में धर्मरुचि बढ़ेगी। यह ग्रन्थ जैन जगत के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगा ऐसा मेरा पूरा-पूरा विश्वास है।
महासाध्वी श्री विजयश्रीजी के इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हम पूरे श्रमण संघ की ओर से उनका सम्मान करते है। आदर व सत्कार करते हैं। उनकी यह सरस्वती साधना आगे भी चलती रहे ऐसी मंगल कामनायें हैं।
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