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पूर्व पीठिका
“जैन श्रमणियों की साधाना"
अंग अध्टायन
RAN
सेवा शुश्रुषा
संलेषना
ध्यान
निर्वाण
* सचित्र अन्तकृदृशांग सूत्र, संपादक श्री अमरमुनि पृ. 160
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